भैंस आरो घोड़ा | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
भैंस आरो घोड़ा दोनों एके वन में रहे छेले, साथे साथे चरे छेले, एके रास्त से आना जाना, एके झरना में पानी पिना, दोनों में बड़ी दोस्ती छेले । एक दिन दोनों लड़ाई होय गेलऽ । भैंस ने सींग से मारी मारी के घोड़ा केरऽ हालत खराब करी देलकी । घोड़ा देखलऽ हम्में भैंस से जीते लेथंय पारवऽ । वहाँ से भागलऽ भागी के गांव मे ंआबी गेलऽ । आदमी के पास पहुंची के सहायता मांगलकऽ । आदमी कहलके भैंस के बोड़ऽ बोड़ऽ सींग होय छै । भैंस बहुत ताकतवर होय छै, जबे तोहें घोड़ा होय के नांय जीते ले पारले ते हम्में किरंग जीते ले पारबऽ । घोड़ा समझैल के तोहें हमरऽ पीठऽ पर बैठी जा, एकटा मोटऽ सन लाठी लै ले । हम्में जल्दी जल्दी दौड़ते रहबऽ, तोहें डंटा से मारते जारहो, भैंस जबे अधमरऽ होय जाती, फेरू डोरी से बांधी लिहऽ आरो घऽर लै आनीहऽ । आदमी कहलके हम्में ओकरा बांधी के भला की करबऽ ? घोड़ा बतैलके भैंस बड़ी मिट्ठऽ दूध दै छे । तोहें दूध पी के ताकतवर बनी जेभे । आदमी घोड़ा केरऽ बात मानी लेलकऽ । भैंस बेचारी पिटाते पिटाते गिरी पउ़ली, तबे आदमी डोरी से बांधी के घऽर लै आनलकऽ । काम पूरा होला पर घोड़ा कहलके अबे हमरा छोड़ी दे । हम्में अबे चरे- बुलैले जाबऽ । आदमी जोर- जोर हंसे लागलऽ, हमरा जेन्हऽ बुद्ध दुनियां में आरो कोय होते । हम्में तोरा छोड़ी दिहोंऽ । तोरो बांधी के राखी लै छिये । दोनों साथे रहभे । भैंस केरऽ मिट्ठऽ दूध पीबऽ, आरो तोरऽ पीठ पर बैठी के सैर करबऽ । घोड़ा कान्दे लागलऽ अबे हम्में की करी सकेछी । घोडत्र पछताबे लागलऽ । भैंस के संग जेरंग करलां, वेहे फल हमरा खुद भोगे ले पडलऽ । वेहे दिनऽ से भैस आरो घोड़ा गांव में रहे लागलऽ । दोसरा के लेलऽ जे गढ़ा खने छै, अपने वे हे में गिरे छै ।
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
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