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Saturday, August 15, 2020

दुआ | Angika Kahani | अंगिका कहानी | आलोक प्रेमी | Duaa | Angika Story | Alok Premi

 


दुआ | अंगिका कहानी | आलोक प्रेमी

Duaa |  Angika Kahani |  Alok Premi


                            चलतेॅ- चलतेॅ डाॅक्टर विकास कऺ कुछ बेचैनी जैसनोॅ\ जैहनोॅ होय रहलोॅ छेलेॅ! आईसीयू के एक बेड पर पडलोॅ हौ लड़की आय नॆय जानोॅ कैहनोॅ होतय? होकरो माय तऺ पत्थर होय गेलीॅ छै,  औरु होकर बाबू कॆ बेटी रोॅ कष्ट नाय देखलोॅ जाय छै तॆ वहा से आँख मलतेॅ हुअ बाहर चल्लॊॅ जाय छै! 

                            हुन्का पिछू  छोटका(जूनियर) डाॅक्टर भी आबी रहलोॅ छै! काडीडोर(काॅरीडोर) मे पहुॅचीं कॆ उन्हीं हल्का से छोटका डाॅक्टर अमन से कहल्कै "आय सांझे अस्पताल के मीटिंग में हम्में नाय रहल पारबैॅ, जल्दी घर जाना छै"! 

                        छोटका डाक्टर अमन कऺ आश्चर्य होलै!सरेॅ तॆ ऐसनोॅ कहियोॅ नाय करैॅ छेलेॅ! कि बात छै? छोटका डाॅक्टरे धीरे से कहलकै "सर आय हमरोॅ यूनिट के प्रेजेंटेशन छै"! 

  "मालूम छै"! डाॅक्टर विकास के चेहरा पर जरी-सा मुस्कान आबी गेलैॅ! आय हमरोॅ बेटी सोनल कऺ  जन्म दिन छेकैॅ! आरु होकरो आदेश छै कि पापा साॅझ होय रो पैहिलेॅ ही घर पहुँची जाना छै! 

                          डाॅक्टर विकास कऺ देखते सभ्भे नर्स खड़ा होय गेलैॅ, सभ्भे फाइल उठाय लेलकैॅ! ठीक नो बजे डाॅक्टर साहब चक्कर लगाना सुरु करी दैॅ छै! 

   "कि हो तोरोॅ बेटा के की हाल छै आबेॅ? " डाॅक्टर विकास बाहारोॅ में सुतलोॅ बच्चा के बाप से पूछलकैॅ! 

       "हाँ सरकार" हौ आदमी हडबडाय  कऺ खाडा होय गेलोॅ! "छूट्टी कहिया मिलतैॅ डाॅक्डर बाबू"? "बस टांका तऺ कटल दौ फेनू छुट्टीयेॅ- छुट्टीयेर्नॅ छै"! यही क्रम से देखतेॅ- देखतेॅ जरलोॅ विभाग(बर्न यूनिट) पहूँची गेलेॅ! जहाँ पर जललोॅ बच्चा कऺ इलाज के बास्तें रखलोॅ जाए छै! हर मरीज के ऊपर मुसहरी जैसनोॅ एक घर बनलोॅ छै, जेकरा से इन्फेक्शन नाय बढेॅ! डाॅक्टर विकास के पास दु ठोॅ जरलोॅ बच्चा रोॅ इलाज होय रहलोॅ छै! पहिलोॅ पाॅंच छोॅ सालोॅ रोॅ एक लड़का जे खेलतेॅ-खेलतेॅ खाना बनाय रहलोॅ माय के पास दौड़ी गेलेॅ आरु केन्हेंक ढिबीया से बच्चा के देहोॅ मे आग लगी गेलेॅ, जेकरा से करीब एक सो मे तीस हिस्सा जली गेलेॅ! हौ बच्चा बहुत हद तक आबे ठीक होय गेलोॅ छै! 

         होकरोॅ ठीक बगल में एक बारह साल के लड़की बेहोश छै! कखनू- कखनू छाती से घर घर रोॅ आवाज आबी जाय छै!जेकरोॅ देह लगभग तीन हिस्सा जली गेलेॅ छै! नबम्बर-जनवरी के समय में केतारी पेराई बास्ते एक बड़का चूल्होॅ बनैलोॅ जाय छै! वही चूल्हा पर बड़का लोहिया रखी के केतारी के रस खौलेलोॅ जाय छै! वही मे झुमियां खेलतेॅ खेलतेॅ अचानक एक दिन गिरी गेलोॅ छेलैॅ! झुमियां के माय बाप आबेॅ कानल भी नाय पारी रहलोॅ छै! सूखलोॅ आँखी से खाली देखते रहेॅ छै डाॅक्टरे आरु नर्से की करी रहलोॅ छै!  बीचों बीचों में नर्सें आबी क झुमियां के बापोॅ कऺ एक छोटोॅ जैसनोॅ चिट्ठा थमाय  कऺ दवाय सूईया खरीदैॅ लेॅ कहेॅ छै! 

                झुमियां के रिपोर्ट देखीं क डाॅक्टर अरुण  नी डाॅक्टर  विकास से अंग्रेजी में कुछ कहलकेॅ जेकरोॅ बाद में डाॅक्टर विकास के चेहरा मुरझाय गेलेॅ! 

               झुमियां कऺ माय बाहर बर्न्डा पर चुपचाप बैठलोॅ छै! होकरोॅ बाबू हांथ जोड़ी क दूरेॅ से हिन्का सिनी क देखी रहलोॅ छै! जखनि डाॅक्टर आबैॅ छै तखनी सभ्भै कऺ बाहर करी देलोॅ जाए छै!डाॅक्टर के जैतैॅह फेनू भिड लागी जाए छै! वैसे जल्लोॅ पेसेंट जहाँ रखलोॅ  जाय छै वहाँ कम भिड़ होय छै! कम-से-कम यहाँ कुछ नियम कड़ा से पालन करलोॅ जाय छै! 

                     राउंड खतम करला के बाद कार से डाॅक्टर विकास केक  दुकान की ओर चलैॅ ! केक खरीदी क डाॅक्टर विकास अपनोॅ घरोॅ  के तरफ आबी रहलोॅ छेलैॅ कि दूरैॅ से देखी कऺ सोनल उछलेॅ लागलैॅ "मम्मी पापा आ गए"..........! 

                           सांझ होतेॅ-होतेॅ आरु सब आस-पड़ोस के बच्चा भी आबी गेलेॅ! कुछ सोनल के साथ पढ़े वाला बच्चा के ऐला के बाद केक कटलोॅ गेलेॅ!भोजन में कुछ समय छेलैॅ है यही बास्तें सब बच्चा आपस मे खेलेॅ लागलैॅ! उन्हें डाक्टर विकास के  मोबाइल पर तीन-चार बार फोन आबी गेलेॅ ,आरु हर बार वही झुमियां कऺ बारे में ही बात होय छेलैॅ! होकरोॅ हालत बहुत खराब हो रहलोॅ छै! डाॅक्टर सोनल अपनोॅ बेटी के साथ रहै लेॅ चाहै छै आरु अगला दिन आबैॅ के बात कही क फोन काटी दै छै! 

                     हिन्नें खेलते-खेलते सब बच्चा छत्तोॅ पर चलोॅ जाय छै! हेतनैॅ मे लाईन कटी गेलेॅ सब बच्चा नीचे उतरै बास्ते हल्ला करेॅ लागैॅ छै! भागमभाग मे सोनल रो सिढी से गोड फिसली गेलेॅ हौ सीधे लुढ़कते हुए नीचेॅ गिरी गेलेॅ!सब बच्चा चिल्लाबेॅ लगलैॅ आंटी सोनल सीढ़ी से नीचें गिरी गेलैॅ! 

                   बेटी आँख खोल, कहाँ चोट लागलोॅ छॅओ, बेटी तोय बोलॅय कहिनेॅ नाय छै कुछ! बच्चिया के माय कान्तें कान्तें है यह सब बोली रहलोॅ छेलैय!

          डाॅक्टर विकास नी देरी करना उचित नाय समझलकैॅ जल्दी से कार निकाली कॆ अपनो एक साथी कऺ घर के जिम्मेदारी दैकेॅ पत्नी आरु बच्ची के साथ अस्पताल चललोॅ गेलेॅ! 

                        चूँकि मेडिकल कॉलेज के एक प्रोफेसर के बेटी रो मामला छेलैॅ तऺ यहीं बास्तेॅ तुरंत सब काम होय गेलैॅ, चपरासी दौड़ी-दौड़ी क कागजी सब काम करबाय देलकैॅ,है बीच में आरु सब डाॅक्टर भी आबी गेलेॅ! सी. टी. स्केन करवैलोॅ गेलेॅ,जेकरोॅ रिपोर्ट मे कुछ खास नाय निकलेॅ!होकरोॅ बाद भी आय रात भर अस्पताल में ही रोकि के रखलोॅ गेलेॅ सोनल कऺ !बच्ची के माय आबेॅ शान्त हो गेलेॅ!डाॅक्टर विकास भी आबेॅ निश्चित हो के  कारीडोर में आबी कऺ अपनोॅ डाॅक्टर साथी से बात करेॅ लागलैॅ- "आरेॅ यार  हौ लड़की रो कि होलैय जेकरोॅ लिए तोरा सीनी बार-बार फोन करि रहलोॅ छेलोॅह! 

            सब चुप- चाप रहलेॅ! 

"कि होलैय सब चुप कहिनैं छौॅ"?

" सर जखनी आपने अपनोॅ बेटी सोनल के अस्पताल लैकेॅ ऐल्होॅ तखनीये"....! 

                    "हे भगवान! वैसे भी है हारलोॅ गेम लड़ी रहलोॅ छेलियै"!डाॅक्टर विकास थोड़ोॅ देर चुप रहलोॅ फेंनू अन्दर अपनोॅ बेटी के पास चललोॅ गेलेॅ! हेतन्है में पिछू से कोय गरजलकैॅ डाॅक्टर साहब, हो डाॅक्टर साहब ....? 

डाॅक्टर विकास पिछू मुडी क देखलदेकैॅ ते झुमियां कऺ बाप खड़ा छेलैॅ, जेकरोॅ हाथोॅ में पूजा के कुछ फूल आरु लडडू छेलैॅ! होकरोॅ चेहरा से साफ पता चलै छेलैॅ कि हौ अभी- अभी कानी कऺ एलोॅ छै! होतना तकलीफ झेलला के बाद कोय अभागा बाप आरु कि करल पारै छै ! वें धीरे से कहलकेॅ मालिक हम्में मंदिर गेलेॅ छेलियै,झुमियां कऺ लेली! लेकिन भगवान कऺ कुछ आरु ही मंजूर छेलैॅ! भगवान हमरोॅ नाय सुनलकैॅ, हमरोॅ बेटी तऺ चललोॅ गेलेॅ! मगर वापस ऐला के बाद पता चललैॅ की आपने के बेटी रोॅ माथा में चोट लागी गेलोॅ छै! हौ ठीक हो जएतैॅ मालिक तोय चिंता नाय करोॅ !भगवानेॅ अबकी बार जरूर सुनतैॅ! बस तोय है पूजा के प्रसाद आरु फूल झुमियां के माथा रो पास रखि दहूॅ"! 

     अनजानोॅ में सोनल कऺ  बदला में झुमियां ही कही देलकैॅ! 

                 डाॅक्टर विकास शील होय के खड़ा ही रही गेलेॅ! आरु सोचें लगलैॅ की आपनोॅ बेटी के बर्थडे बास्तें जेकरोॅ बेटी के देखलेॅ नाय ऐलियेॅ वही बाप होकरोॅ बेटी के बास्तें भगवान से दुआ मांगी रहलोॅ छै!थरथलोॅ हाथोॅ से डाॅक्टर विकास फूल आरु प्रसाद रखि लेलकेॅ! डाॅक्टर विकास के भिंगलोॅ आंख देखतेॅ हौ देहाती आदमी धीरे से कहलकेॅ "दिल छोटोॅ नाय करोॅ साहब! भगवान के शायद यहेॅ मंजूर छेलैॅ"!  

                             होकरोॅ आवाज में कोय शिकवा नाय छेलैय! 

 Angika Kahani

आलोक प्रेमी 

9504523693

भदरिया अमरपुर

 बाॅका (बिहार)

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