बेंग | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
वर्षा केरऽ दिन छेले, पोखर- तालाव लबालब भरलऽ छेले । बेंग सब किनारो बैठी के एक स्वर में टर्र- टर्र करी रहलऽ छेलऽ । कुछ लड़का सनी बहाय वास्ते पानी में कुदलऽ, आरो पोखरी में पैरे लागलऽ । एक लड़का ने पथल उठाय के बेंग के जोड़ऽ से मारलके बेंग उछली के पानी में चलऽ गेलऽ । बेंग के कुदते देखी के लड़का के बड़ी बढि़याँ लागले । वू बार- बार बेंग के मारे आरो ओकराऽ छलते देखी के हँसे । पथल केरऽ मार से बेचारा बेंगऽ के चोट लागे छेले, ओकरा जों आदमी केरऽ भाषा बोले ले आतले ते वू जरूर लड़का से प्रार्थना कर तले आरेा नांय मानला पर गरियो देवले । लेकिन बेचारा कि तरतलऽ चोट लागे छेले, प्राण बचाबे के लेलऽ पानी जाय छेल अपनऽ पीड़ा सहे के अलावा दोसरऽ कोय उपाय भी ते नांय छेले । लड़का के ई पता नांय छेले कि ई तरह से खेलऽ में पथल मारना बेंगऽ के कत्ते दरद होते, होतै ? कीड़ा- मकोड़ा के तंग करना या कोय जीव केरऽ दरद होते, होतै ? कीड़ा- मकोड़ा के तंग करना या कोय जीव केरऽ प्राण लेना, कत्ते बोड़ऽ पाप होय छै । जे पाप करे छै, ओकरा बहुत दुःख भोग ले पड़े छै । आरो मरला के बाद यमदूत पकड़ी के नरक में लै जाय छै । वहाँ बहुत कष्ट भोगे ले पड़े छै । बेंगऽ के बार- बार पथलऽ मारना ओकरा खेल बुझाय छेले । एकरा पकड़ी के लै चल । लड़का ई सुनी के पीछु धुरी के देखलकऽ, तीन ठो यमदूत खड़ा छै । कारऽ- कारऽ यमदूत लाल- लाल आंख, बोड़ऽ बोड़ऽ दांत, टेढ़ों मेढ़ों नाक । हाथऽ में मोटऽ मोटऽ डंटा आरो डोरी, लड़का ओकरा देखतहीं डरी गेलऽ, साथी सनी हंकाबे लागलऽ । वहाँ कोय नांय छेलऽ सब भागी गेलऽ छेले । अपने बेंगऽ के मारै में लागलऽ छेलऽ । एक यमदूते कहलके पकड़ी ले एकरा । दोसरका यमदूते कहलके ई ते गोबरैलऽ जेन्हऽ घिनैलऽ देखावे छै । हम्में एकरा नांय छुबऽ । ई ते बड़ी नीच छै । हमरऽ हाथ मैलऽ होय जातऽ । तीसरा कहलके एकरा फंदा लगाय के बांधी ले, आरो घसीटते लै चल । लड़का ई सुनी के मानऽ ओकरऽप्राण निकली रहलऽ छेले । बड़ी साहस करी के पुछलके हमरा कहां ले जेभऽ ? नरकऽ में जहां पापी सनी के जीते जी तैलऽ में पकैलऽ जाय छै । पकौड़ी के समान । लड़का अपनऽ माय के पकौड़ी बनाते देखलऽ छेलऽ । बाप रे हमरा पकौड़ी एन्हऽ पकैतऽ । लड़का कहलके हम्में तोरऽ की बिगाड़लऽ छिहों, हमारा छोड़ी दे । हाथ जोड़ी के घिघियाबे लागले । गोड़े गिरे दिहों, हमरा नांय पकाबऽ । तोहें पापी छें, महा अधम छें । तोहे किरिया खो अबे पाप नांय करबऽ तबे तोरा छोड़बो । यमदूत कहलके कोय प्राणी के बिना मतलब कष्ट पहुंचेबे नरक में ले जेबो आरो वहां लोहा धिपाय के मारबो । लड़का कहलके हम्में किरिया खाय छी । कोहयो पाप नांय करबऽ, दोनों कान पकड़ी के उठ बैठ करे लागलऽ । यमदूत वहां से अर्न्तध्यान होय गेले । लड़का भागलऽ भागलऽ घऽर आलऽ माय के सब बात बताबे लागलऽ । हम्में की पाप करलऽ छिये । माय कहलकी तोहें निरपराध बेंगऽ के मारे छेलहीं, कोय भी निरपराध जीव के सताना महा पाप होय छै । जीव के नांय सताना चाहीवऽ ।
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
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