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Friday, July 12, 2019

ब्रत करे वाला के एकदम भूखलऽ रहना चाहीव | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

ब्रत करे वाला के एकदम भूखलऽ रहना चाहीव  | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 



उपवास में लोग साबूदाना केरऽ खिचड़ी खाय छै, खिचड़ी केरऽ अपेक्षा साबूदाना केरऽ खीर खाय से ज्यादे लाभ दायक होय छै । एकरऽ कै कारण छै । खिचड़ी के जग्घऽ खीर खाना सहज छै । खीर जल्दी पचे छै, वहीं खिचड़ी पचे में ज्यादे समय ले छै । एकरा में वसा होय छै, जबे कि खीर में दूध केरऽ प्रोटीन मिले छै जे फायदा मंद छै । नवरात्र के समय कत्ते लोग देवी अराधाना में उपवास रखे छै आरो गरबा में भी शामिल होय छै, रून्हऽ में शरीर केरऽ ऊर्जा आरेा पोषण केरऽ ख्याल रखना जरूरी छै । बहुत देरी तक भूखलऽ नांय रहे, थोड़ऽ- थोड़ऽ देरी में नारियल पानी, नींबू पानी पीये या कुछ फल खाते रहे, ई शरीर केरऽ सुचारू संचालन के लेलऽ महत्वपूर्ण छै । अपनऽ भोजन में आठ घंटा से ज्यादे केरऽ अन्तर नांय पराखऽ । का हे कि खाना पचै केरऽ बाद शरीर मांस पेशि आरो लीवर में संगृहित ग्लूकोज से ऊर्जा लेना शुरू करी दै छै । ब्रत में बिहाने- बिहाने लोग कुछ नांय खाय छै, लेकिन एन्हऽ आदत (नियम) के छोड़ी देना चाहीव । स्वास्थ्य केरऽ दृषिृ से बिहाने- बिहाने हल्का फलाहार जरूर लेना चाहीव । कुछ शारीरिक रोग में चिकित्सक केरऽ सलाह पर ही उपवास रखना चाहीव । एकरऽ तहत लीवर, किडनी, उच्च रक्तचाप से संबंधित समस्या से पीडि़त आरेा डाय विटीज, कुपोषित आरो कम रोग प्रतिशोधक क्षमता वाला लोगऽ के सतर्क रहे केरऽ आवश्यकता छै । खास तौर पर मधुमेह केरऽ (चीनी वाला रोगी के) रोगी व्रत के समय ज्यादा देर तक निराहार नांय रहना चाहीव । ब्रत में भूखलऽ रहे से चक्कर आना, शरीर में पानी कम होना ई समस्या ते लोगऽ में खास बात छै । ब्रत केरऽ दौरान में कै ठो दिक्कत जेना गैस, एसिडिटी, माबऽ दरदऽ पेट फुलना, एकरऽ नतीजा चिड़ाचिड़ापन जेन्हऽ लक्षण पर भी गौर करना चाहीव । ई समस्या नांय होते, जों तोहें सही समय पर आहार लेते रहऽ आरेा शांत रही के आराधना करऽ ऊर्जा बचथों । ऐसे से ब्रत में ऊर्जा आरो पानी केरऽ पूर्ति के लेलऽ सब प्रकार केरऽ फल सेवन करना चाहीव । एन्हऽ फल केरऽ सेवन जरूर करना चाहीव जेकरा में ज्यादे मात्र में पानी मिले छै । जेना कि- तजबूजा, नारंगी, ककरी, खीरा आदि में । शरीर के ताप नियंत्रण आरो पानी केरऽ मात्र के बनैलऽ रखे छै । फल केरऽ टुकरा पर नोन (नमक) लगाय के खाय सकऽ ते आरो बढि़यां । कभी हम्में फलाहार जूस के रूपऽ में लै छिये कभी सीधे फले खास के ब्रत करे छिये । यहाँ कुछ ध्यान रखै केरऽ बात छै । पहिलऽ, जों फल केरऽ रस निकाली के पीय छऽते एकरा में फाइबर कम होय जाय छै । जबक कि फलऽ ई शरीर के मिले छै । दोसरऽ तुरंत ज्यादे कैलोरी चाहीव ते जूस पीवऽ । वहीं कम कैलोरी में पेट भरना चाहे छऽते फल खा । फल खाय से पेट भरे केरऽ एहसास भी होय छै । त्रिशूल, देवी माय के भगवान शंकर ने देलऽ हेलात ई तीन गुणऽ केरऽ द्योतक छै । सत्व, रज, आरेा तमस । एही कारण दुर्गा के भौतिक, मानसिक आरेा अध्यात्मिक तीनऽ प्रकार केरऽ परेशानी के हरे वाली मानलऽ जाय छथिन । त्रिशूल केरऽ तीन नोक भी बताबै छै कि त्रिगुण महत्वपूर्ण छै ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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