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Tuesday, August 18, 2020

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लॉकडाउन | अंगिका लघुकथा | विद्यापति झा
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"हैलो-----छोटे!" 

"हों भैया..."
"माय के तबीयत अभी कि रंग छैय ?"
"ठीक तऽ नाॅंय कहलऽ जाय लऽ पारऽ भैया...।"
"डाक्टरॅं कि कहय छैय ?"
"कहै छैय पल्मोनरी एडिमा (फेफड़ा में पानी भर जाना) है।"
"ओ......। तबऽ... ?"
"कहै छै थोरेकोस्कोपी पद्ति से फेफड़े से पानी निकालना होगा छोटा आपरेशन करना होगा। हाॅस्पिटल आबि गेलौ छियै, काल आॅपरेशन होतैय।"
"ओ.... एखनी मांय हमरा सऽ बात करैय लऽ पारय कि ?"
"सुतलऽ छों एखनी.....।"
"अच्छा - अच्छा रहैल दहीं.... कखनु बात करि लेबय।"
छोटका भाय राजन सऽ बात करला के बाद विनय के मोन मॅ कुछु अनहोनी रंग डाकैय लागलैय। विनय तुरत भागलपुर आवैय लॅ छटपटाय रहलो छेलै लेकिन इ लाॅक डाउन नॅ पुणे के एक प्लैट म विनय कॅ कैद करि देनॅ छैलैय। कनियाॅंय साहस देलकय "कोय बात नांय छैय लाॅक डाउन टूटला के साथै हमारा सिनी भागलपुर चलबैय।सब कुछ भगवान कृपा सऽ ठीक रहतय।" 

"हूं---" विनय नॅ स्वीकारोक्ति मॅ मुड़ी डोलैलकैय। उ रात विनय ठीक्कौ सॅ सुतैय लऽ नांय पारलैय। माय के बहुत याद आबि रहलो छेलय।
अभी पिछला जनवरी के ही तॅ बात छै, जबॅ दोनों भाय के परिवार भागलपुर में जुटलाॅ छेलै । संक्रांति के दिन बौंसी मेला निकलय के पहनॅ नाहीं-सुनाय कॅ दोनों भाय तैयार होलय तऽ माय नॅ तिलॅ के लड़ुआ विनय के हाथों मॅ देॅय कऽ पुछलकै "तिलऽ तिलऽ ब देभौ तॅ?"
"हों" कहला के साथैं वहाँ खाड़ो विनय के बेटा बबलू नॅ तुरत दादी सॅं पूछलकैय "इसका मतलब क्या होता है दादी माँ ?" दादी नॅ कहलकै "ऐकरौ मतलब छै बेटा कि सब तोरा सिनी तिलऽ - तिलऽ बढ़ी कॅ बड़ो आदमी बनॅ आरो तोरौ पप्पा सऽ हैय वादा भी लेलिऐय कि हमरा मरला के बाद हमरा गंगा जी पहुंचाय कऽ हमरा मुक्ति भी दिलैयतय।"
"ओ..." कही कऽ बबलू बौंसी जाय वाला कार हिन्नॅं दौड़ी गेलैय। विनय नॅ माय के गोड़़ छूलकैय। माय नॅ दोनों बेटा के माथोऽ हसोती कॅ आशीर्वाद देलकैय आरो हाथ उठाय कॅ कहलकय "हे मधुसुदन देव ! हमरा रंग बेटा सभय कॅ दिहौ।" "आरो काल कि होतै नाॅंय होतै हे भगवान...! माय के रक्षा करिहौ ।"

यहॅ सिनी सोचतैं-सोचतैं कखनी नींद लागि गेलैय विनय कॅ पते नांय चललैय। हुन्नैं भोरे पांच बजे मोबाइल के घंटी बजलय । विनय के हिन्नैं सें हैलो कहला के साथ हुननैं सॅ कानै के आवाज सुनतै साथ विनय के हाथौं सॅ मोबाइल छुटी गेलैय ।माथौ पकड़ी लोरॅ आँखी विनय ठकमकाय कॅ बैठी गेलैय ।कोरोना - काल के लाॅक डाउन नॅ माय के समना विनय कॅ झूठा बनाय देलकैय। - विद्यापति झा दुमका, झारखंड

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