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Wednesday, July 31, 2019

दोसरा के सुधारै से पहिले अपने सुधरें | Angika Kahani | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Tutlow katori | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

दोसरा के सुधारै से पहिले अपने सुधरें | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Dosra ke Sudharai me Pahlein Apney Sudharein | Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 


एक आदमी अपनऽ बेटा के लैके एक महात्मा पास पहुंचलऽ, महात्म से कहलकऽ महाराज हमरऽ बेटा रोज गुड़ खाय छै। मांय ढेला पर कान्दे लावे छै। लड़ाई-झगड़ा शुरू करी छै छै । हम्में बेटा केरऽ आदत से परेशान छी ? कृपा करी के कोय उपाय बताबऽ । जेकरा से एकरऽ ई आदत छुटी जाय। महात्मा कहलका एक महीना केरऽ बाद बेटा के लै के अइहऽ तबे उपाय बतैभों। एक महीना के बाद महात्म ने बच्चा के अपना पास बोलैल कात, आरे कुछ देर बात कहलका, बेटा देखऽ ? अबे गुड़ कम खइहऽ आरो गुड़ के लेलऽ लड़ाय भी नांय कहरहऽ । महात्मा केरऽ बात बच्चा केरऽ मना में असर करी गेले । वहे दिनऽ से गुड़ खाना छोड़ी देलके । ओकरऽ स्वास्थ भी सुधरे लागले। बच्चा केरू बाप एक महीना के बाद महात्मा के प्रणाम करे ले गेलऽ, महात्मा जी तोरा बहुत-बहुत धन्यवाद छों । तोए बातऽ में जादू छें । तोहें समझैल्हऽ तोरऽ बात मानी के गुड़ खाना छोड़े देलके। लेकिन हमरा समझ में नांय आबी रहलऽ छै कि एहे बात पहिले दिन बताय देतल्हऽ, एक महीना बाद बोलैल्हऽ । एकरा की माने भेलो । हम्में नांय समझैले पार लिये । महात्मा मुस्कराय के बोलला जे आदमी अपने अपनऽ नियम पालन नांय करै सके छै । ऊ आदमी दोसरा के की नियम पालन करें ले कहते, ओकरऽ उपदेश करेऽ की असर पड़ते । हम्में रोज खाना के साथ गुड़ खाय छेलिये, हम्में बच्चा के गुड़ खाय ले मना केसे करतीय, पहिले स्वयं गुड़ खाना बन्द करनिय, तबे तोरऽ बेटा के गुड़ खाय ले मना करलिये असल में संयम करेऽ नियम पहिले अपने से होना चाहीवऽ । संयम बोलै करेऽ नांय पाले केरऽ बिलय छै । संयम के लेलऽ आदमी के भीतर ढुंढना जरूरी छै । जे आदमी भीतर नांय ढुंढ़ी सकै छै= ऊ आदमी संयम केए पालन नाय करी सकै छै ।




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