दू दोस्त | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
दु दोस्त छेलऽ । एक धर्मात्मा, दो सरऽ नास्तिक, एक केरऽ समय बीतते छेले पूजा-पाठ भजन सत्संग में, दोसरऽ नास्तिक, एक केरऽ समय बीतते छेले पूजा- पाठ भजन सत्संग में, दोसरऽ केरऽ चोरी बदमासी मार-काट में जीवन बिताबे छेलऽ एक दिन कोय काम से एक साथ जाय रहलऽ छेलऽ । रास्ता में नास्तिक ने कहलके तोहें अपनऽ जीवन व्यर्थ में गंवाय रहलऽ छें ? ई जीवन केरऽ कोय भरोसा नांय छै, थोड़ आनन्द से रही लेब ते पिछु पछताय ले नांय पड़तौ । धर्मात्मा ने कहलके हम्में अपनऽ जीवन केरऽ बारे में जाने छी । एहे से हम्में जीवन दे वाला के याद करते रहे छी । जे हमरा जीवन छेला छै, हम्में हुन्से नांय याद करजै ते ई जीवन हमरऽ बेकार नांय होतऽ ? तमिये रास्ता में एक अनहोनी घटना घटले । अचानक धर्मात्मा केरऽ गोड़ऽ में कांटऽ गड़ी गेले। धर्मात्मा कांटऽ निकाले के फेरू साथ चले लागलऽ । कुछ दूर चलला के बाद नास्तिक केरऽ गोड़ऽ में कुछ टकरैले, नास्तिक झुकी के देखलके ते टाक से भरलऽ थैली छेले । नास्तिक हँसते होलऽ कहलके देखऽ तो हे आरऽ हम्में एक साथ जाप रहलऽ छिये । तोरा गोड़ऽ में काँटऽ गड़ल्हों, हमरा टाका गरलऽ थैली मिललऽ । ई देखी के धर्मात्मा करेऽ मनऽ में संदेह पैदा हुवे लायले । एक महात्मा आते देखाई देलके, धर्मात्मा ने प्रणाम करी के अपना संदेह केरऽ निराकरण जाने ले चाहलके । महत्मा कहलका तो हैं अगला जनम में बहुत पाप करलऽ छेले। ई जनम में तोरा फांसी पड़े वाला छेलऽ । लेकिन तोहें पूजा पाठ गजन सत्संग में भगवान करेऽ नाम ले छें, ओकरे फल प्रताप से काँटऽ गड़ी के रही गेलो। तोरऽ जे साथी छऽ अगला जनम में बहुत पुण्यवाला छेलै जप- तप पूजा- पाठ बहुत करे छेले। बहुत बोड़ऽ धनवान बने वाला छेले । लेकिन ई जनम में बहुत पाप करलऽ छै, तही से कुछ टाका मिली के रही गेले । ऐहे से कहलऽ गेलऽ छै कि आदमी के भाग्य ही पूरी तरह से ओकरऽ कर्मो में निहित नांप छै । लेकिन भविष्य में कर्म केरऽ परिणाम के योग केरऽ सहनशीलता पर एकरऽ अवश्य असर पड़े छै ।
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