Search Angika Kahani

Sunday, July 14, 2019

पैसा खाय - पीके | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

पैसा खाय - पीके | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

समय केरऽ साथ याद भूली जाय छै । लेकिन आज भी हुन्कऽ मिट्ठऽ (मधुर) आवाज मनऽ में ताजा छै । बहुत पहले केरऽ बात छिके_ हम्में बहुत छोटऽ छेलिये, हमरऽ टोला में एकरा बुढ़ऽ आदमी माथा पर ताजा तरकारी (सब्जी) केरऽ टोकरी (डाला) राखी के आबै छेले । सभे केरऽ घरऽ में जाय के तरकारी दै छेले आरो कहे छेले पैसा खाय- पीके । केकरो तरकारी नांय ले केरऽ मोन रहे छेले, तइयो ओकरा से तरकारी किनी लै छेले । कोय हिसाब- किताब नांय रखे छेले । दु- तीन दिनऽ केरऽ बाद वू एक साथ पैसा लै छेले । ओकरऽ व्यवहार ऐत्ते अच्छा छेे कि टोला महल्ला के लोग ओकरा से खुश रहे छेले । वेहे आस- पास में ओकरऽ थोड़ऽ सन जमीन छेले, ओकरे में साग- भाजी उगाबे छेले । वेहे में एकरा बेर केरऽ गाछ छेले । बेर केरऽ मौसम में बेर लै के आबै आरो सनी के मंगनी बार्ट, ओकरऽ पैसा वू नांय ले छेले । सब लोग ओकरा बहुत इज्जत करे छेले । आरेा बिना मांगले कीमत से ज्यादा पैसा मिली जाय छेले । आज भी तरकारी किनते समय ओकर मिठ्ठऽ (मधुर) आवाज कानऽ में गूंजे छै । पैसा खाय- पी के । अच्छा व्यवहार करे वाला आदमी अमर होय जाय छै । वू आदमी ई दुनियां नांय रहले, लेकिन ओकरऽ नाम रही गेले ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection| Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

 

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.

Search Angika Kahani

Carousel Display

अंगिकाकहानी

वेब प नवीनतम व प्राचीनतम अंगिका कहानी के वृहत संग्रह

A Collection of latest and oldest Angika Language Stories on the web




संपर्क सूत्र

Name

Email *

Message *