बात बिहाने- बिहाने केरऽ छिके । जबे हम्में आरो हमरऽ पति रहले ले जाय छेलिये, हमरऽ पति के रास्ता में कोय मिली गेलऽ राम - राम कहे केरऽ आदत छेल्हेन । साथ में हमरा भी कहे छेला, तोहें भी सबके राम- राम कहलऽ करऽ । लेकिन हमरा चुपचाप रही के टहलना अच्छा लगे छेलऽ । रोज दिन ऐबे जेबे ते सब से परिचय होना स्वाभाविक छै । एक दिन सामने से आते होलऽ एकटा । बुढ़ऽ आदमी के राम राम कहलका, लेकिन वू कुछ जवाब नांय देलके, अपनऽ ध्यानऽ में मगन छेले । नांय जनिकी सोचते जाय रहलऽ छेले । हमरऽ पति के खराब लगल्हेंन, हमरा कहलका देखऽ ने हम्में एकरा रोज राम राम कहे छिये, आरो ई नांय जाने केन्हऽ छै कि प्रभु केरऽ नाम भी लेना नांय चाहे छै । अबे हम्में भी राम राम नांय कहबे, हमरऽ पति ई बात ई ढंग से कहलका कि हमरा हंसी आबी गेले । हम्में कहलिहेंन कोय बात नांय, होय सकै छै हुन्हीं सुनलऽ नांय होता ऐहे सब बात करते होलऽ घऽर तरफ आबी रहलऽ छेलिये, कि वेहे आदमी लौटते समय फेरू मिलले आरेा हमरऽ पति के तरफ देखी के बोलले शर्मा जी राम-राम । हुन्कऽ ई कहत ही हम्में सोचऽ में पड़ी गेलिये कि ई आदमी कहियो राम- राम केरऽ जवाब नांय दै छेले, आज एकरा की होले ? राम- राम केरऽ जवाब मिलला पर हम्में अपनऽ पति से हंसी केरऽ अन्दाज में कहलिहेंन, भगवान बात सुनी लेलथीन आरो नांय चाहलका कि तोहें ई बढि़याँ आदत छोड़ऽ ऐहे से भगवान साक्षात वू आदमी केरऽ रूप में आय के तोरा से राम- राम बोललका । पति अब भी हैदान छेला । हम्में कहलिहेंन, अबे ते तोहें खुश होय जा, काहे िक आज भगवान साक्षात तोरा से राम- राम बोललथीन ।
बात बिहाने- बिहाने केरऽ छिके । जबे हम्में आरो हमरऽ पति रहले ले जाय छेलिये, हमरऽ पति के रास्ता में कोय मिली गेलऽ राम - राम कहे केरऽ आदत छेल्हेन । साथ में हमरा भी कहे छेला, तोहें भी सबके राम- राम कहलऽ करऽ । लेकिन हमरा चुपचाप रही के टहलना अच्छा लगे छेलऽ । रोज दिन ऐबे जेबे ते सब से परिचय होना स्वाभाविक छै । एक दिन सामने से आते होलऽ एकटा । बुढ़ऽ आदमी के राम राम कहलका, लेकिन वू कुछ जवाब नांय देलके, अपनऽ ध्यानऽ में मगन छेले । नांय जनिकी सोचते जाय रहलऽ छेले । हमरऽ पति के खराब लगल्हेंन, हमरा कहलका देखऽ ने हम्में एकरा रोज राम राम कहे छिये, आरो ई नांय जाने केन्हऽ छै कि प्रभु केरऽ नाम भी लेना नांय चाहे छै । अबे हम्में भी राम राम नांय कहबे, हमरऽ पति ई बात ई ढंग से कहलका कि हमरा हंसी आबी गेले । हम्में कहलिहेंन कोय बात नांय, होय सकै छै हुन्हीं सुनलऽ नांय होता ऐहे सब बात करते होलऽ घऽर तरफ आबी रहलऽ छेलिये, कि वेहे आदमी लौटते समय फेरू मिलले आरेा हमरऽ पति के तरफ देखी के बोलले शर्मा जी राम-राम । हुन्कऽ ई कहत ही हम्में सोचऽ में पड़ी गेलिये कि ई आदमी कहियो राम- राम केरऽ जवाब नांय दै छेले, आज एकरा की होले ? राम- राम केरऽ जवाब मिलला पर हम्में अपनऽ पति से हंसी केरऽ अन्दाज में कहलिहेंन, भगवान बात सुनी लेलथीन आरो नांय चाहलका कि तोहें ई बढि़याँ आदत छोड़ऽ ऐहे से भगवान साक्षात वू आदमी केरऽ रूप में आय के तोरा से राम- राम बोललका । पति अब भी हैदान छेला । हम्में कहलिहेंन, अबे ते तोहें खुश होय जा, काहे िक आज भगवान साक्षात तोरा से राम- राम बोललथीन ।
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