हरि शपनी एकादशी केरऽ महत्व | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
नीन्द केरऽ एन्हऽ जरूरत छै, जेकरा बिना कोय नांय रही करेऽ छै । हिन्दू धर्म में नीन्द के बहुत सुन्दर दर्शन से जोड़लऽ गेलऽ छै । आज आज केरऽ तिथि हरि शयनी एकादशी कहाबे छै । आषाढ़ शुक्ल पक्ष में होय छै । आज से भगवान विष्णु जी चार महीना के लेलऽ सुती जैता । विष्णु सात्विक भाव केरऽ प्रतीक छिका, आरेा जबे सत्व भाव चार महीना नीन्द में छथ ते हमरऽ जिम्मेदारी आरो बढ़ी जातऽ । ई चार महीना में कोय एन्हऽ संकल्प ले, जे भीतर केरऽ सात्विक भाव के बनैलऽ रक्खे । जबे विष्णु सुती जायहश्र, तबे वेद हमरऽ मार्ग दर्शन बनी जाय छै । जे वेद नांय पढ़ै लेवारे छै, वू एन्हऽ शास्त्र पढ़ै, जेकरा में वेद केरऽ निचोड़ होय । एन्हऽ शास्त्र छै, राम चरित्र मानस । ई चार महीना में राम चरित्र मानस से संदेश लेलऽ जाय सके छै कि किरंऽ परम पिता अपने आप के आराम में रही के संदेश दै छथ कि आराम केरऽ अर्थ ऊर्जा केरऽ पुनः आचरण । लंका काण्ड में रावण भोग विलास में डुबलऽ होलऽ छेले आरो राम जी सेना लै के लंका पहुँची चुकलऽ छेलात यहाँ राम जी के बैठे के वास्ते, लक्ष्मण गाछी से कोमल- कोमल पत्ता अपनऽ हाथऽ से तोड़ी के आसन बिछाय देलका । जेकरा पर कृपालु श्रीराम जी विराजमान छेलात । यहाँ राम जी किरंऽ बैठलऽ छथ बतैलऽ गेलऽ छै । ई वेहे दृश्य छिके कि नीन्द केरऽ समाप्ती के नीन्द कहे छिये । असल में होना ई चाहीवऽ कि नीन्द भी आबे आरो होश भी रहे । राम वू समय पुरा होश में छेलात । आरो रावण जागते होलऽ भी सुतलऽ छेलऽ । ऐहे स्थिति ओकरऽ पतन केरऽ कारण बनलऽ छेले । हम्में भी चातुर्मास से संदेश लिये कि ई चार महीना में अपनऽ भीतर केरऽ सद्गुण, संकल्प बहुत अच्छा से जीवन से जोड़बे । आज से चातुर्मास शुरू होय गेले । अबे चार महीना कोय शुभ काम नांय होवै छै । मुंडन, जनेऊ, बीहा, गृह प्रवेश आदि कोय शुभ काम के लेलऽ देवोत्थान एकादशी केरऽ प्रतीक्षा रहे छै । देवोत्थान एकादशी के बाद सब शुभ काम शुरू होय जाय छै ।
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