आशा रहिये गेले मोर | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
सोच ही रे सखि भै गेले भोर, नाऐ ला नन्द किशोर- 2
1- फूलवा वो चुनी - चुनी सेजिया लगा पेलां,
मन धन कैलां इन्जोर ।
सोच हीरे सखि भै गेले भोर । ना ऐ ला नन्द किशोर
2- सोलहो सिंगार करी बैठलां अंगनमा,
पंथ हेरैते बहे लोर ।
सोच हीरे सखि भै गेल भोर, ना ऐला नन्द किशोर ।
3- सांची सुगंध दय बिरबा लगाय ऐलां ।
फूलबा गूंथलाँ बिना डोर ।
सोच हीं रे सखि भै गेल भोर, ना ऐ ला नन्द किशोर ।
4- बिरह विकल भय सोचती अग्जन,
आशा रहिये गेल मोर- 1
सोच हीं रे सखि भै गेल भोर, नाऐला नन्द किशोर ।
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