संघर्ष में धैर्य रखना | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
जबे अपनऽ से संघर्ष करे ले पड़े ते सब से बोड़ऽ ताकत होय छै आंतरिक प्रसन्नता । अपनऽ संघर्ष में अच्छा अच्छा आदमी टुटी जाय छै । एकरा लेलऽ पहिले ताकत जुटाबऽ आंतरिक प्रसन्नता के रूपऽ में । भीतर से खूब प्रसन्न रहऽ । शायद स्वजन शत्रु में नांय बदले, आय के तोरा से दोस्ती जोड़ी सके छै । जानवरऽ में सब से ज्यादा डऽर लागे छै सांपऽ से । कोय हिंसक जानवर मनुष्य कै ऐतना भयभीत नांय करते, एकरऽ कारण छै सांप केरऽ अज्ञात उपस्थिति आरो दोसरऽ ओकरऽ जहरीला होना । सपना में शेर आ जाय ते नींद खुलला पर ज्यादा विचार नांय आते, लेकिन सांप आ जाय ते बहुत देर तक मनऽ में पता नांय की - की चलते रहे छै । अपनऽ से संघर्ष भी ऐहे रंऽग होय छै, ऐहे से कहलऽ गेलऽ छै आस्तीन केरऽ सांप से सावधान रहऽ । ऐसे सांप के शिवजी से जोड़ी दै ते अर्थ बदली जाय छै । सांप एक बहुत बोड़ऽ संदेश दै छै कि बिषपान केरऽ जेरऽग शिवजी ने करलऽ छलाता विषपान यानि विपरीत परिस्थिति में, संघर्ष में धैर्य रखऽ । जबे अपनऽ से आहत होय जाय ते लड़खड़ै हऽ नांय । वर्तमान परिस्थिति प्रतिकूल हेाय जाय ते, भविष्य के प्रति धैर्य रखिहऽ । ई प्रकार से विषपान धैर्य, निर्भयता ई सब सिखाबै छै । सांपऽ से एक बोड़ऽ शिक्षा भी मिले छै कि एकरऽ मौजुदगी जों शिव केरऽ पास छै वू पुजनीय छै आरो यदि जंगल (वनऽ) में छै ते हिंसक छै आरो लोग ओकरा मारी दै छै । हमरा पास शिव के उपस्थिति केरऽ मतलब ऐहे छै कि हम्में विष के स्वीकार करीयै । आरो एकरा स्वीकारोक्ति से जीवन में भगवत्ता उतरते, परमात्मा केरऽ स्वाद उतरते, ध्यान रखिहऽ जेकरा पास विषपान केरऽ स्वीकृति छै ओकरा से बड़ऽ पराक्रमी आरो निर्भय कोय नांय हो सकै छै ।
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