सब विघ्न के हरे वाला आरो रिद्धि- सिद्ध, बुद्धि के दै वाला गणेश केरऽ अनुष्ठान करलऽ जाय छै । चाहे कोनऽ देवता या कोय शुभ काम करे से पीहले गणेश केरऽ पूजा अर्चना करलऽ जाय छै । गणेश केरऽ अर्थ होय छै समूह आरो ईस केरऽ अर्थ होय छै स्वामी । मतलब सब जीव जगत केरऽ मालिक गणेश कहाबे छथिन । माता पार्वती अपनऽ देहऽ से उबटन सरिखे मैल निकाली के एकरा बेटा बनाय लेलकी, आरो ओकरा में प्राण दे देलकी । ओकरा गणेश केरऽ रूप में द्वारी पर बैठाय देलकी । कहलकी हम्में नहाय ले जाय छी केकरो भीतर नांय आबे ले दिहें । ऐत्तने में शिव जी कहीं से आला, आरेा भीतर जाय ले चाहलका । गणेश रास्ता रोकी के खड़ा होय गेला, तोहें भीतर नांय जाय ले पारे दऽ । माता केरऽ आदेश छै, केकरो भीतर नांय जाना छै । माता अभी नहायर हलऽ छथ । शिवजी कहलका हम्में हुन्कऽ पति छिये । गणेश टस से मस नांय होला रास्ता रोकी के खड़ा रहला । शिवजी गुस्सा में अपनऽ त्रिशूल से गणेश केरऽ गर्दन (गला) काटी देलका । भीतरा गेला, पार्वती कहलकी द्वारी पर गणेश रोकल्खो नांय । शिवजी कहलका बहुत जिद्धि लड़का छैलै, हम्में ओकरऽ त्रिशूल से गला (गर्दन) काटी देलिये । पार्वती कान्दते- चिल्लाते बाहर गेली, गणेश के गोदी उठाय के विलास करै लागली, हमरऽ बेटा के मारी देल्हे, अभी जिन्दा करी दे । भोले नाथ के चिन्ता होवे लागल्हें न ई बेटा कहाँ से आबी गेलऽ । बाहर देखऽ जेकरा पर पहला नजर पड़थोंन ओकरे गला (गर्दन) काटी के तोरऽ बेटा के गला (गर्दन) में जोड़ी के जिन्दा करी देभों । पहला नजर हाथी पर पड़लऽ । हाथी केरऽ गला (गर्दन) गणेश जी में जोड़ी देलऽ गेलऽ । वेहे दिनऽ से गजानन्द नाम पड़ी गेलऽ । भादौ शुक्ल पक्ष चतुर्थी के हिनकऽ विशेष पूजा होय छैन । अनन्त चर्तुदशी के धूम धाम से निर्सजन होय छै । सबके सुख शान्ति दै वाला देवता छथिन, भगवान गणेश में सब तरह केरऽ वरदान दै केरऽ छमता छैन । विद्या- बुद्धि केरऽ दाता छथिन । आगे रहना छै ते गणेश केरऽ पूजा करना चाहीवऽ । सब देवता से अलग रंग रूप बुद्धि केरऽ ज्ञाता छथिन । हिनक शरीर से कुछ- कुछ शिक्षा मिले छै । लम्बा सूंढ- ई बताबे छै कोय दुःख विपत्त में केतनो बाधा आबे घबड़ावे ले नांय छे ।
बड़का पेट- लम्बोदर महाराज केरऽ पेट सीख दै छै, दोसरा केरऽ पेट भरे से अपनऽ पेट अपने आप भरी जाय छै । मतलब भेले दोसरा के सुख पहुंचा वाला के गणेश जी अपनऽ पेट सरिखे बढ़ोत्तरी दै छथिन । अपनऽ अपमान पचाबै केरऽ छमता गणेश जी केरऽ पेटऽ से मिले छै
।
माथा पर चन्द्रमा - गणपति महाराज केरऽ माथा पर चन्द्रमा रहे छैन, चन्द्र माई सीख दै छै मस्तिष्क के हमेशा ठंढा रखऽ गुस्सा नांय करऽ गुस्सा से अपने नुकसान छै ।
दांत - गणेश महाराज के एकेरा दांत छैन, दांत सीख दै छै, जेतना छै ओतने में संतोष करऽ ।
मूसऽ - गणेश जी केरऽ सवारी छिके मूसऽ, मूसऽ से सीख मिले छै, आगु बढ़ै ले बुद्धि केरऽ जरूरत होय छै । ताकत से दुनियां मे आगु नांय बढ़लऽ जाय सके छै ।
सूप सन कान - सूप सन कान सीख दै छै, अपनऽ बड़ऽ केरऽ बात सुने ले अपनऽ कान सूप सन बढ़ाय ले, गुरू केरऽ बात कानऽ से सुनी के हृदय में उतारी ले ।
लड्डु - गणेश जी केरऽ लड्डू सिखाबै छै, हमेशा लड्डू जेन्हऽ मिठ्ठऽ बोलऽ अपनऽ दुश्कन से भी कड़वा नांय बोलऽ ।
भूजा - गणेश जी केरऽ चार भूजा सीख दै छै, कमाबऽ दोनों हाथऽ से दान करऽ चारो तरफ से । हमेशा अपनऽ हाथ से शुभक काम करऽ ।
लाल ओढ़ना - गणेश जी केरऽ लाल ओढ़ना से प्रेरणा मिले छै, हमेशा ऊर्जावान बनलऽ रहऽ आलस करे वाला के दुनियां में कुच्छु नांय मिले छै ।
दुभी - गणेश जी के दुभी बहुत पसंद छैन, दुभी प्रेम केरऽ प्रतीक छै दुभी से सीख मिले छै प्रेम कई से प्रेम मिले छै ।
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