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Friday, July 12, 2019

रिश्ता | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

रिश्ता | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 


एक दिन बिहाने- बिहाने कै सालऽ के बाद देखलिये ओकरा सामने वाला छतऽ पर वू कत्ते गेलऽ छेली या हालात बदली गेलऽ छेले । देखी के- मुस्करैलकी लागले जेना बात करती, लेकिन अपनऽ कामऽ में लागी गेली, कुछ देरी के बाद वहाँ से ओझल होय गेली, मनऽ में ओकरे बात घुरी रहलऽ छेले । वू बचपन वाली दोस्ती, वू साथ, रूसना आरो मनाना । जब से होश सम्भार लिये हमेशा साथे रहे छेलिये । साथ पढ़ना, साथ खेलना आधऽ समय ओकरे घर रहे छेलिये । आरेा समय वू हमरा घऽर रहे छेली । घर वाला मजाक में कहबो करे छेले, दोनों साथ- साथ रहे छें ? कहें ते बीहा करी दियो ? बीहा केर? नाम सुनतें हंसी पड़े छेलिये, फेरू जैसे- तैसे उमर बढ़ै लागले, मिलना कम दुबे लागले । बाद में देखना भी बन्द होय गेले । एक अनचाही दूरी आप गेलऽ छै हमरा दोनों के बीचऽ में लेकिन हमरा मनऽ में अभियो ओकरा लेलऽ वेहे जग्घ छै । कुछ छेले जे हम्में ओकरा बताना चाहे छेलिये । लेकिन बतावे नांय पार लिये । समय अपनऽ रफ्रतार से बढ़ी छेले । एक दिन जैस हीं आफिस घऽर पहुंचलिये, माय खुशी होलऽ एकरा कार्ड (नेउता) हाथ में थम्हाय देलकी आरो कहलकी सामने वाली लवली केरऽ बीहा केरऽ नेउता कार्ड छिके । पन्द्रह दिनऽ के बाद बीहा छै ओकरऽ । चचा जी कुछ देर पहिले कार्ड दै के गेलऽ छै । आरो तोरा से कुछ छै चलऽ जैहें । घरऽ में कुछ कास होथ्हेंन । माय ई सब बतांते होलऽ बड़ी खुश छेली । आरो हम्में हताश होय गेलां । दिलऽ केरऽ बात बताबे में कुछ ज्यादे देर करी देलिये । चचा केरऽ घरऽ पर गेलिये हुन्ही एकरा लम्बा लिस्ट बनाय के रखलऽ छेलात । बीहा वाला सब खरीद- बिक्री करी के लै आबऽ । हम्में मनऽ से या बेमनऽ से पता नांय ई सब के लेलऽ तैयार होय गेलिये । लड़का अच्छा परिवार केरऽ छेल । खुद केरऽ बिजनेस छेले ओकरऽ । चचा जी ने फोटो देखैलके । देखै में हमरा से ते बढि़यें छेले । हम्में चाहे छलिये कि लवली हमेशा खुश रहे, पर केकरो दोसरा करे साथ, ई नांय सोचलऽ छेलिये । ओकरऽ बीहा होय गेले, फेरू कोय खोज- खबर नांय । हम्में भी ओकरा लगभग भूलिये गेलऽ छेलिये । कुछ दिनऽ के बाद बीच बाजार में ओकरा से सामना भेले, हाय- हैलनों के बाद, अचानक पांछु से सात - आठ साल केरऽ बच्चा भागते होलऽ ऐ ले । आरो गुस्सा में माय से बोलले, तोहें कहां चलऽ गेलऽ छेल्हीं ? लवली ने ओकरा से परिचय कराते होलऽ कहलकी, ई हमरऽ बेटा अभि छै । हम्में खामोश छेलिये । बच्चा के तरफ मुड़ी के कहलकी, ई तोरऽ मामा छवऽ । वू समय पल भर के लेलऽ दुनियां रूकी गेलऽ छेले । वू काबे गेली पता नांय चलले । हुन्हीं अपनऽ सच कहलकी, हम्में अपनऽ सच समेटी के नया रास्ता पर चली देलिये ।


टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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