लक्ष्मी के साथ गणेश केरऽ पूजा अति शुभ मानलऽ गेलऽ छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
दीपावली में लक्ष्मी के साथ गणेश केरऽ पूजा अति शुभ मानलऽ गेलऽ छै । लक्ष्मी जी केरऽ साथ श्री विष्णु जी केरऽ पूजा होना चाहीवऽ । लेकिन दीपावली में माय लक्ष्मी के साथ गणेश जी केरऽ पूजा करलऽ जाय छै । धन केरऽ देवी लक्ष्मी छथिना जे धन समृद्धि प्रदान करे छथिन । लेकिन बिना बुद्धि केरऽ धन समृद्धि व्यर्थ छै । एकरऽ पीछु मुख्य कारण छै कि भगवान श्री गणेश समस्त विघ्नऽ के टारे वाला छथिन । दया आरेा कृपा केरऽ महासागर भी छथिन । तीनों लोक केरऽ कल्याण करे वाला भगवान गणपति सब प्रकार से योग्य छथिन । सब विघ्न- बाधा के दूर करे वाला गणेश विनायक छथिन । बुद्धि प्राप्ति के लेलऽ गणेश केरऽ पूजा करे केरऽ विधान छै । गणेश जी सब तरह केरऽ सिद्धि दै वाला देवता मानलऽ गेलऽ छथिन । काहे कि सब तरह केरऽ सिद्धि भगवान गणेश में वास करे छै । ऐहे से लक्ष्मी जी केरऽ साथ गणेश जी केरऽ आराधना जरूरी छै । भगवान विष्णु ने स्वयं गणेश जी के वरदान देलऽ छथिन ।
सर्वाग्रे तव पूजा चमया दत्ता सुरोतम ।
सर्व पूज्यश्रव योगीन्द्रो भव वत्से त्युवाच तम् ।।
अर्थात- सुरे श्रेष्ठ मैंने सबसे पहले तुम्हारी पूजा की है ।
अतः- वत्स ? तुम सर्व पूज्य तथा योगीन्द्र हो जाओ ।।
शिव जी अपनऽ पुत्र के आशीर्वाद देलथीन कि तोरो पूजा करलऽ बिना शुभ काम करे केरऽ अनुष्ठान करते, ओकरऽ मंगल भी अमंगल में बदली जेते, जे लोग फल केरऽ कामना से ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्र चाहे कोय देवता के भी पूजा करते आरेा तोरो पूजा नांय करते, ओकरा तोहें विघ्न के द्वारा बाधा पहुंचाय दिहें । ऐ हे सब कारणऽ से माय लक्ष्मी के साथ गणेश जी केरऽ पूजा करे केरऽ विधान छै । लक्ष्मी प्राप्ति केरऽ बाद ओकरा स्थिर करे के लेलऽ बुद्धि केरऽ जरूरत होय छै । लक्ष्मी के साथ गणेश केरऽ पूजा के संबंध में बहुत कथा यहाँ देलऽ गेलऽ छै । विष्णु धाम मे भगवान विष्णु आरो माता लक्ष्मी विराजमान होय के आपस में बात करी रहलऽ छेली । बातऽ बातऽ में लक्ष्मी घमंड से बोली उठली कि हम्में सभे लोकऽ में सबसे ज्यादे पूजनीय छी । आरो सबसे श्रेष्ठ भी छी । लक्ष्मी जी के ई तरह के अपनऽ घमंड केरऽ प्रशंसा करते देखी के भगवान विष्णु जी के अच्छा नांय लागल्हेन । हुन्कऽ घमंड दूर करे के लेलऽ भगवान विष्णु कहलका, तोहें सब तरह से सम्पन्न होते होलऽ भी आज तक माय केरऽ सुख प्राप्त नांय करे ले पारल्हे । ई सुनी के लक्ष्मी जी बहुत दुखी होय गेली । आरो अपनऽ पीड़ा सुनावे के लेलऽ, माता पार्वती के पास गेली आरो हुन्का से प्रार्थना करलकी । पार्वती जी से गणेश अपनऽ पुत्र कातिर्मकेय या गणेश में से कोय एक पुत्र दत्तक पुत्र के रूपऽ में दान करी के लक्ष्मी जी के दान करी दें । लक्ष्मी जी केरऽ पीड़ा देखी के माता पार्वती जी गणेश जी के लक्ष्मी जी के दत्तक पुत्र (पोस पुत्र) केरऽ रूपऽ में दै ले स्वीकार करी लेलकी । पार्वती जी से गणेश जी के पुत्र केरऽ रूप में पाप के लक्ष्मी जी खुशी होते होलऽ कहलकी, हम्में अपनऽ सभे सिद्धि, सुख अपनऽ पुत्र गणेश के प्रदान करे छी एकरऽ साथ- साथ हम्में हमरऽ पुत्री समान प्रिय रिद्धि आरो सिद्धि जे ब्रह्मा जी केरऽ बेटी छिकी, हुन्का से गणेश जी केरऽ बीहा करावे केरऽ बचन भ्ीा दे छी । ई सम्पूर्ण त्रिलोक में जे आदमी, श्री गणेश जी केरऽ पूजा नांय करतऽ हुन्कऽ निन्दा करतऽ, हम्में ओकरा से कोसों दूर रहबै । जब भी हमरऽ पूजा होते, ओकरा सत्य ही गणेश जी केरऽ पूजा होते । लक्ष्मी जी केरऽ आदेश छिकैं ।
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