धन्वंतरि केरऽ पूजा | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
धनतेरस में भगवान धन्वंतरि केरऽ पूजा करलऽ जाय छै । समुद्र मंथन में नारायण केरऽ अंश के रूप में अमृत कलश लै के प्रकट होलऽ छेलात । वू सब वेद केरऽ ज्ञाता गुरूड़ केरऽ शिष्य आरो भगवान शंकर केरऽ उप शिष्य छिका । समूचा जगत के निरोगकरी के मानव समुदाय के दीर्घायु रखै केरऽ शक्ति हुन्का पास छै । विष्णु पुराणऽ के अनुसार धनवंतरि से रहित सब शास्त्र केरऽ ज्ञान छैन । अकाल मृत्यु से बचे के लेलऽ यमदीया जरूर निकालना चाहीव । यमदीया जलाबे से यमराज खुश होय छथ । आरो सब परिवार के स्वस्थ आरोग्य केरऽ प्राप्ति होय छै । यमदीप्त माटी चाहे आय केरऽ बने छै । लाल कपड़ा केर बत्ती बनाय के सरसों या करंज तैल भरी के जलैलऽ जाय छै । दीया निकाले से पहिले एकरऽ पूजा करऽ । निकाले से पहिले पूरे घरऽ में घुमैलऽ जाय छै । ताकि सब दुख, बलाय, दरिद्रा बाहर निकली जाय । आरो लक्ष्मी माता केरऽ वास होवे । धनतेरस में धातु खरीदे केरऽ विशेष महत्व छै । काहे कि, धातु शुद्ध हेाय छै । नया बर्तन के खाली नांय रक्खऽ एकरा में फल- मिठाय से भरी देना चाहीवऽ । वर्तन पर स्वस्तिक चिन्ह बनाय के, धूप, दीप, अक्षत से पूजा करे से घरऽ में समृद्धि आरो आरोग्य केरऽ प्रवेश होय छै । साथ में एन्हऽ भी मानलऽ जाय छै कि ई शुभ मुहुर्त में धातु किने से परिवारऽ में धन केरऽ कमी नांय होय छे । आरो खुशिहाली बनलऽ रहे छै । कार्तिक महीना केरऽ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के धन तेरस होय छै । ई त्योहार दीपावली आबे केरऽ सूचना दै छै । ई दिन नया बर्तन किनना शुभ मानलऽ जाय छै । धनतेरस के दिन मृत्यु केरऽ देवता यमराज आरो भगवान धन्वंतरि पूजा केरऽ महत्व छै ।
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