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Friday, July 12, 2019

माँ लक्ष्मी आरेा कमल केरऽ फूल | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

माँ लक्ष्मी आरेा कमल केरऽ फूल | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 



महालक्ष्मी केरऽ फोटो आरो प्रतिमा में हुन्का कमल केरऽ फूलऽ पर बैठलऽ देखलऽ होभऽ ? एकरऽ पीछु धार्मिक कारण ते छै साथ में कमल फूलऽ पर बैठलऽ लक्ष्मी जीवन प्रबंधन केरऽ महत्व पूर्ण संदेश भी दै छथिन । लक्ष्मी धन केरऽ देवी छथिन । हिन्का धन से संबंध रहे छैन ं। एकरऽ नशा सबसे यादे दुष्प्रभाव छै वाली छथिन । धन, मोह, माया में गले वाला छै । आरेा जबे धन केकरो पर हाबी होय जाय छै ते वू आदमी गलत रास्ता पर चले लागे छै । एकरऽ जाल में फंसे वाला आदमी केरऽ पतन निश्चित छै । वेहे कमल अपनऽ सुन्दरता, निर्मलता आरो गुणऽ के लेलऽ भानलऽ जाय छै । कमल कीचड़ में ही फुले छै, लेकिन ओकरऽ गंदगी से अलगे रहे छै । ओकरा पर गंदगी हाबी नांय होय ले पारे छै । जे आदमी के पास ज्यादे धन छै, ओकरा कमल फूलऽ के तरह ही धर्म के बनाय के रखना चाहिीवऽ । जे रंऽ लक्ष्मी अपने कमले फूलऽ बैठलऽ होल । पर भी घमंड नांय होऽ छैने हुन्ही सहज ही रहे छथिन । ऐहे से धनवान आदमी कभी सहज रहना चाहीवऽ । ओकरा पर लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहे छथिन । धन केरऽ देवी माय लक्ष्मी के मनैलऽ जाय छै । माय लक्ष्मी के, अगर पूरे विश्व में मनैलऽ जाय छै ते वू छिके भारत । लक्ष्मी हंसी खुशी वाला जग्घऽ में रहे छथिन । जे घरऽ में साफ सफाई, हंसी- खुशी केरऽ कमी रहे छै, नियम- निष्ठा केरऽ पालन नांय होय छै, वहाँ धन केरऽ प्रवाह रूकी जाय छै । नीरसता, उदासी आरो गंदगी से माय लक्ष्मी दूर भागी जाय छथिन । जे घरऽ केरऽ क्रियाशील पुरूष या जनानी निरूत्साहित भाव से काम करे छै, वू घरऽ केरऽ निश्चित रूप से धन केरऽ प्रवाह रूकी जाय छै । माय लक्ष्मी के चंचला मानलऽ जाय छै । अपनऽ ऐहे चंचल स्वभाव के कारण आदमी के पलभ में धनी या गरीब बनाय दै छथिन । घरऽ में धन संचित होय के लेलऽ लक्ष्मी के लजाना ही सर्वश्रेष्ठ छै । चूंकि लक्ष्मी शक्ति स्वरूपा भी छथिन ओरा ई शक्ति ब्रह्मांड से लै के आदमी विशेष केरऽ भीतर तक समैलऽ छथिन । चंचल मन पर नियंत्रण करना ही लक्ष्मी के रोकलऽ जाय सके छै । आदमी में ई शक्ति असीम धैर्य विकसित करै से आबे छै आरो जनानी में ई शक्ति मनऽ के शांत करे से आबे छै । जे घरऽ केरऽ जनानी आरो मर्दाना शांतचित आरो धैर्य रखे वाला हो छे वहाँ लक्ष्मी केरऽ प्रवास स्थायी होय छै, वैदिक ग्रंथ के अगर मानऽ ते भाय लक्ष्मी केरऽ वास साफ सफाइ वाला घरऽ में होय छै । जे घरऽ में साफ सफाई नांय होय छै या जे घरऽ में साफ- सफाई पर ध्यान नांय देलऽ जाय छै । वहाँ ररूहऽ देखलऽ गेल छै कि धन केरऽ प्रवाह रूकी जाय छै । रसोई घर के भी लक्ष्मी केरऽ निवास स्थान मानलऽ गेलऽ छै । ई स्थान जेतना अशुद्ध आरो गंदगी से भरलऽ होलऽ होते, वू घरऽ में दरिद्रता केरऽ वास होते । रसोई घर के साफ सुथरा होना जरूरी छै । माय लक्ष्मी सभे तकलीफ दूर करे वाली छथिन दीपावली में सभे घरऽ में दीया जलैलऽ जाय छै । प्रकाश करलऽ जाय छै । अंधकार में दरिद्रता आरो प्रकाश में लक्ष्मी केरऽ वास मानलऽ गेलऽ छै । जे घरऽ में अंधकार ज्यादा होय छै वू घरऽ में धन केरऽ प्रवाह रूकी जाय छै । ऐहे से सांझ होते ही घरऽ में दीया जलाबे केरऽ नियम बनल छै ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

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