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Friday, July 12, 2019

जीवन केरऽ ज्ञान शिक्षा से मिले छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

जीवन केरऽ ज्ञान शिक्षा से मिले छै  | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

शिक्षा हमरा, ज्ञान आरो जानकारी ही नांय दे छै, बल्कि कौन तरह से जीन चाहीवऽ एकरऽ संकेत भी दे छै । सब प्राणी केरऽ भीतर परमात्मा केरऽ वास होय छै । जनम होला केरऽ बाद कोय भी जो केरऽ होवे ओकरा भीतरा भगवान केरऽ प्राण तत्व छै । एकरा में कोय फरक नांय छै । हिन्दू छिके, सिख छिके, या मुसलमान, ईसाई छिके जेकरा जीव केरऽ भीतर देखे केरऽ कला आबी जाय छै, ओकरा लेलऽ इंसानियत केरऽ अर्थ बदली जाय छै । लेकिन कुछ लोग केवल शरीरऽ पर रूकल रहे छै । राजा जनक के दरबार में अष्टाबक आठऽ अंगऽ से टेढ़ऽ मेढ़ऽ बालक वहाँ पहुँचला । जनक केरऽ दरवार में जेत्ते विद्वान सब बैठल छेलात, अव्यवक्र के देखी के हहाय के हँसे लागला । निडर अष्टावक्र बालक अपनऽ विश्वास के साथ, राजा जनक से कहलकऽ । हम्में ते सुनलऽ छेलिये कि अपने केरऽ दरवार में विद्वानऽ के बोलैलऽ आरऽ बैठलऽ जाय छै । लेकिन हम्में ते देखी रहलऽ छिपे कि यहाँ रूप आरो देहऽ केरऽ सौदागर बैठलऽ छै । राजा जनक चौंकी गेला । अष्टावक्र से पुछलका, अपने के यहाँ कोय विद्वान नांय देखावे छै ? अष्टावक्र बोलला नांय । जनक पुछलका काहे ? अष्टावक्र कहलका, हमरऽ अष्टवक्र शरीर देखी के हँसी देलकर, हमरऽ आत्मा केरऽ भीतर जे ? ईश्वर छथ, हुन्का देखलऽ छथ ? हुन्हीं हमरऽ अन्दर केरऽ ज्ञान के किरंऽ पहचानता । लोग विद्वान ज्ञानी नांय होय सके छै । राजा जनक अष्टावक्र के क्षमा मांगलका आरऽ हुन्का आदर के साथ बैठेलका । एक समय में बहुत बोड़ऽ धनी मानी व्यापारी से पुछलके कि तोरऽ काम करे केरऽ राज की छिवखंड ? प्रश्न करे वाला व्यापारी ने प्रश्न करल हम्में जे कुर्सी पर बैठलऽ छिये ओकरऽ पीछु तोरा की देखाय रहल छोड ? प्रश्न करै वाला कहलके तोरऽ कुर्सी के पीछु दिवाल छै । व्यापारी हंसी के बोल्ले बस ऐहे फर्क छै । तोहें हमरऽ पीछु दिवाल देखे हम्में दिवाल के पीछु देखे छिपे, जे याद रहे छै । ई नांय देखे दिये जे याद नांय रहे । जे देखाय रहलऽ छै ओकरा समय रहल देखी लेना सफलता केरऽ मार्ग छिकै ।


टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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