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Friday, July 12, 2019

रीछ (भालू) | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

रीछ (भालू) | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 



बाप अपनऽ बेटा केरऽ नाम शुभ राखल छेलऽ । शुभ केरऽ बाप शिकारी छेले, रीछ फँसाना, हरिण मारना आरेा ओकर चमड़ा बेची के अपनऽ जीविका चलाना । ऐहे ओकरऽ रोजगार छेले । एक दिन बाप शुभ के गाछ के नीचे बैठाय ढेलकऽ अपने बंदूक लै के वनऽ में गेलऽ । घरऽ में नांय माय छेले नांय वहीन छेले, ऐहे से ओकरा सूना घरऽ मन नांय लाये छेले । गुरूजी केरऽ बेंतऽ के डर से इसकूल भी नांय जाय छेलऽ । आरेा लड़का सनी पढ़ै ले चल जाय छेले । वू गांव में केकरा संग खेलतलऽ । बाप के वन जाय लागलऽ । कभी चिडि़या उड़ातलऽ, कभी खरगोस केरऽ पीछु दौड़तलऽ, कभी- कभी करौंदा, झड़बेरी भी खाय ले मिली जाय छेले । ओकरा अकेले वनऽ में हिन्ने- हुन्ने घुमै में डार नांय लागे छेले। शिकारी केरऽ बेटा जे छेले ? एक दिन अकेले वनऽ में घुरी रहलऽ छेलऽ, खों- खों केरऽ आवाज आलै । देखे ले दौड़लऽ, देखे छे एकटा बोड़ सन भालू काँटऽ केरऽ झोंझ में फंसी के छटपटाय रहलऽ छै । ओकरऽ बोड़ऽ बोड़ बाल कांटऽ में ओझराय गेलऽ छै । शुभ के दया आबी गेले । पास जाय के कांटऽ से भालू के छोड़ाय देलके, भालू जोड़ से चिलैले शुभ डर से बिलबिलाय लागलऽ । डरी रहलऽ छैलऽ कहीं हमरा खाय नांय जाय । थोड़ऽ देरी के बाद भालू अपने वहाँ से भागी गेले । शुभ के जान में जान आले । भालू चिढ़ै छै ते बड़ा भयानक हमला करे छै । शत्रु के ते गाछी पर चढ़ी के नोची लै छै । केकरो पर खुश होलऽ ते दोस्त भी अच्छा बनी जाय छै । ओकरऽ उपकार जे करे छै, ओकरा भूले छै नांय । उपकार करे वाला के बहुत याद रखे छै । जे आदमी दोसरा के दया आरेा उपकार करे छै । ओकरा बहुत फल मिले छै । संसार में बहुत प्राणी आदमी केरऽ उपकार केरऽ बदला बड़ी सुन्दर से उपकार करी चुकाबै छै । शुभ रीछ केरऽ भाषा नांय समझे ले पाई छेलऽ रीक्ष ओकरा से कहे छेले, हम्में तेरऽ मित्र छिकिहों, तोरा वास्ते मिठ्ठऽ फल लै के आबे छिहों । शुभ वहाँ से भागे ले चाहे छेलऽ । वू दौड़लऽ जाय रहलऽ छेलऽ रीछ फेरू ओकरा सामने आबी गेले । अबकी बार रीछ, सुन्दर सुन्दर फल आनी के देलके । शुभ हाथऽ में लै लेलकऽ । खाय के देखलकऽ बहुत मिठ्ठऽ फल छेले । शुभ आरो रीछ में दोस्ती होय गेले । दोनों एक दोसरा के बहुत चाहै लागलऽ ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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