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Thursday, July 11, 2019

संकल्प केरऽ दृढ़ता में छिपलऽ छै सफलता | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

संकल्प केरऽ दृढ़ता में छिपलऽ छै सफलता | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 



वैसे ते हठ ठीक नांय मानलऽ जाय छै । लेकि ग्लानि वश हठ होय आरो एकरऽ पूर्ति के उद्देश्य सही होय ते हठ भी गुणऽ में बदली जाय छै । राजा उत्तानपाद के दु कनिपाय छेल्हें, सुनीति आरऽ सुरूचि । राजा के दोनों कनियाय से दु बेटा छेल्हें । ध्रुव आरो उत्तम, एक दिन राजा सिंहान पर बैठलऽ छेला, हुन्कऽ गोदी में उत्तम बैठलऽ छेले । ध्रुव भी राजा केरऽ गोदी में बैठे ले चाहलके । ई देखी के ध्रुव केरऽ विमाता सौतेली माय ताना मारते होलऽ कहलकी, तोहे तपस्या करी के हमरऽ कोखी में जनम ले, तभिये तोहें राजा केरऽ गोदी में बैठी सके छें । ई सुनी के ध्रुव के बहुत अपमान लागले । ध्रुव केरऽ पिता राजा उत्तानपाद, रानी सुरूचि के ज्यादे माने छेलाऽ ऐहे से राजा चुपचाप रही गेला । ध्रुव घर छोड़ी के चलऽ गेलऽ । नारद मुनि से प्रेरणा लै के, पाँच साल केरऽ उमर में यमुना तट पर मधुवन में तपस्या करे लागलऽ । हुन्कऽ तपस्या से प्रसन्न होय के विष्णु ने ध्रुव के वरदान देलका, ई सब लोक से ग्रहऽ नक्षत्रऽ से उपर आधार बनी के स्थित रहता । ऐसे से हुन्कऽ स्थान ध्रुवलोक कहाबै छै । तपस्या केरऽ बाद ध्रुव अपनऽ राज्य में धुरी ऐला । आरो राजय प्राप्त करलका । इतिहास बताबै छे कि ध्रुव ने कई सालऽ तक बहुत ही अच्छा शासन करलऽ छेला । तभी से हुनका तभी से ई बातऽ केरऽ आदर्श मानलऽ गेलऽ छेलात कि राजा तपस्वी होय ते राज्य केरऽ नीति भी आदर्श होते आरऽ प्रजा सुखी रहते । तप केरऽ पीछु जब-तक हठ नाय होते, तप पूरा नांय होते । कहलऽ गेलऽ छै कि अच्छा उद्देश्य केरऽ पीछु केरऽ हठ दृढ़ संकल्प कहाबै छै । पचास प्रतिशत सफलता संकल्प केरऽ दृढ़ता में ही छिपलऽ रहे छै । ऐहे से कोय भी संकल्प लै के ओकरा पूरा करै के लेलऽ दृढ़ संकल्पित रहना चाहीव ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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