दोसरा केरऽ करलऽ प्रार्थना काम नांय आबे छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
आचार्य तरूण जी महाराज कहे छथिन कि तोरऽ वजह से जीत जी केकरो आखऽ में लोर आबी जाय ते इ सब से बोड़ऽ पाप छै । लोग मरला के बाद तोरा लेलऽ कान्दे, ते सब से बोड़ऽ पुण्य छै । ऐहे से जिन्दगी में एन्हऽ काम करऽ कि मरला के बाद तोरऽ आत्मा के शान्ति के लेलऽ केकरो प्रार्थना नांय करे ले पड़े । काहे कि जैसे कोय दोसरा के खाना खाय से तोर पेट भरी जैते ? वैसे ही दोसरा के द्वारा करलऽ गेलऽ प्रार्थना कोय काम केरऽ नांय होय छै । हुन्हीं कहलका कि इंसान नर्वस होय जाय छै । जबे कि गुलाब काँटऽ में भी मुस्कुराबे छै । तोहें भी प्रतिकूलता में मुस्कुराबेऽ ते लोग तोरा से भी दोस्ती (प्रेम) करते, याद रखिहो कि जिन्दा आदमी ही मुस्कुराबे छै । मुर्दा कभी नांय मुस्कुराबे छै । आरो कुत्ता चाह के भी नांय मुस्कुराय सकते, ई सौभाग्य सिर्फ मनुष्य के ही छै । ऐहे से जीवन में सुख आबे तो भी हंसी लिहऽ आरो दुख आबे तो हंसी में उड़ाय दिहऽ हुन्ही कहे छथ कि एक आदमी भगवान से पुछलके तोरा से प्रेम आरो मानवीय प्रेम में की अन्तर छै ? भगवान बोले आसमान में उड़ते पंछी हमरऽ प्रेम छिके, आरो पिंजड़ा में कैद पंछी मानवीय प्रेम छिके । प्रेम में अद्भूत शक्ति छै । केकरो के जीतना छै ते ओकरा तोहें तलवार से नांय जीती सके छऽ । तलवार से केकरो, हरैलऽ जाय सके छै । जीतलऽ जांय जाय सके छै जब भी जिन्दगी में संकट आबै छै, ते सहन शक्ति पैदा करऽ । जे सहे छै, वेहे रहे छै । जीवन परिवर्तन के लेलऽ सुने केरऽ आदल डालऽ सुनना भी एक साधना छै । चिन्तन बदलऽ ते सब कुछ बदली जैते ।
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