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Thursday, July 11, 2019

जागऽ मोर किसनमा| अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

जागऽ मोर किसनमा| अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 


अपनऽ भारत भूमि के खातिर, देबै परनमा !
जागऽ मोर किसनमा । अपने -------------------
देश के रक्षा करबे, भारत माता के मान बढ़ैबे !
जिनकऽ आंचल के छाया में, जिये दै परनमा ।
जागऽ मोर किसनमा µ
जोतबे- कोड़बे उपजैबे, मकई मंडुवा गेहू धनमा ।
जागऽ मोर किसनमा - अपन - ------------
भाई - भाई मिलके रहबै, आपस में कभी न फुटबे दुनियां कहैबै -
नेक इंसनमा (इनसनमा)
जागऽ मोर किसनमा । अपनऽ ----------------------
जों कोई लेबे ऐता, जों कोई छिने ऐता लईये लेमेन
हुन्कऽ परनमा ।
जागऽ मोर किसनमा ।
अपनऽ भारत भूमि खातिर देबै परनमा, जाग मोर किसनमा -

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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