कौवा - मैना | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
जाड़ा केरऽ दिन छेले, आरो साँझ होय रहलऽ छेले । आकाशऽ में बदरी घेरी लेलऽ छेले । एक नीम गाछ पर, बहुत सनी कौवा बैठलऽ छेले । काँव- काँव करी रहलऽ छेले । आरो लड़ी रहलऽ छेले । ऐहे बीच में एकटा मैना वहाँ आबी गेली, आरो वेहे नीम केरऽ गाछ पर बैठ ली । मैना के देखत ही, कौवा- सनी ओकरा पर टुटी पड़ले । बेचारी मैना कहलकी, बदरी घेरलऽ छै, ऐहे से जल्दी अँधार होय गेलऽ छै, हम्में अपनऽ खोंता भूली गेलऽ छी । रात भर यहाँ बैठे ले दे । कौवा कहलके ई गाछी पर हमरा सनी केरऽ डेरा छिके, तोहें यहाँ से भागी जो । नांय ते मारते- मारते मारीय देबो, मैना बोलली गाछ ते तोरऽ लगालऽ नांय छिको, सबते भगवान केरऽ दिके । ई सरदी में जों वर्षा हुवे आरो पथल पड़े ते भगवाने हमरा सनी के बचाय वाला छथ । हम्में बहुत छोटऽ छी तोरऽ बहीन छिहों । हमरा पर दया करऽ । आरो हमरा यहाँ बैठे ले दे । कौवा कहलके हमरा तोरऽ जेन्हऽ बहीन नांय चालीवऽ । तोहें बड़ी भगवान केरऽ नाम लै छें, भगवान केरऽ भरोसा यहाँ से चली जो ? तोहें यहाँ से नांय जांबे ते हमरा सनी तोरा मारबौ । कौवा ते लड़ाकू होबे करे छै । साँझ के जबे गाछी पर बैठे लागे छै, ते आपस में लड़ला बिना ओकरा चैन नांय आबे छै । एक दोसरा के मारै छै, आरो काँव- काँव करी के लड़ै छै । कौन कौवा कहाँ बैठतऽ कौन डारी पर बैठतऽ । ई फैसला जल्दी नांय करै ले पारे छै । ओकरा सनी के घड़ी घड़ी लड़ाय होते रहे छै । दोसरऽ चिडि़या के अपना संग कि रंग बैठे ले देतऽ । मैना के मारे ले दौड़ले । कौवा के अपना तरफ झपटते देखी के मैना बेचारी वहां से भागली । उड़ते होलऽ एकरा आम गाछी पर जाय के बैठ ली । रात आंधी- पानी ऐले आरो बदरी गरजे लागले, बोड़ऽ- बोड़ पथलऽ गिरे लागलऽ । तड़तड़ बन्दूक केरऽ गोली जेन्हऽ आवाज हुवे लागले कौवा सनी कांव- कांव करी के चिल्लाबे लागलऽ हिन्ने- से हुन्न दौड़े उड़े लागलऽ पथल केरऽ मार से सब घायल होय के धरती पर गिरे लागलऽ । कुच्छु ते मरियो गेलऽ । मैना जे गाछ पर बैठलऽ छेली ओकरऽ मोटऽ डार आंधी में टुटी गेलऽ डार भितरे भितर खोखलऽ होय गेलऽ छेले । डार टुटला पर ओकरऽ जड़ऽ में ढ़ोढर होय गेले, मैना ओकरे में ढुकी केर बैठी गेली, पानी पथल से बची गेली । भगवान केरऽ कृपा से वू सुरक्षित छेली, बीघन भेलऽ दु घड़ी दिन चढ़ी गेलऽ । एकदम चमचमालऽ रौद निकललऽ मैना ढोंढ़र से निकलली पाँख पसारी के चहके लागली, भगवान के प्रणाम करलकी, वहाँ से उड़ली । धरती पर पड़ल होलऽ कौवा ने मैना के उड़ते देखी के बड़ी कष्ट से बोललऽ मैना बहीन रात में तोहें कहाँ रहें ? तोहें पथलऽ के मार से केना बची गेले । मैना बोलली, हम्में आम केरऽ गाछ पर ए सकरे बैठलऽ छेलिये आरो भगवान केरऽ प्रार्थना करी रहलऽ छेलिये । पुरवऽ में पड़लऽ असहाय जीव केरऽ भगवान केरऽ अलावा आरो कौन बचावे वाला छै । भगवान पर जे भरोसा करे छै, ओकरा भगवान आपत्ति- विपत्ति में जरूर सहाय होय छथिन, आरो ओकरऽ रक्षा करे छथिन ।
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