जमीन पर खजाना | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
एक शहर में एक भिखारी सड़क किनारे बैठी के बीस- पच्चीस साल से भीख मांगी रहलऽ छेले । एक दिन मरी गेलऽ । जीवन भर ऐहे कामना छेले कि, हम्में भी सम्राट बने ले पार तलां कौन भिखारी एन्हऽ छै जे सम्राट होय केरऽ कामना नांय करे छै । जीवन भर हाथ पसारी के रास्ता पर खड़ा रहलऽ, लेकिन हाथ पसारी के एक- एक पैसा मांगी के कोय सम्राट होलऽ छै ? भीख मांगे वाला कभी सम्राट होलऽ छै ? मांगे केरऽ आदत जत्ते बढ़े छै, ओतने बोड़ऽ भिखारी भिखारी बनी जाय छै । सम्राट कैसे बनी जैतऽ ? जे पच्चीस साल पहले छोटऽ भिखारी छेलऽ पच्चीस सालऽ के बाद पूरे सहरऽ में प्रसिद्ध भिखारी होय गेलऽ छेलक लेकिन सम्राट नांय हुवे पारलऽ । फेरू मरी गेलऽ । मौत केाय फिक्र नांय करे छै । मौत सम्राट के भी आबी जाय छै, आरऽ भिखारी के भी आबी जाय छै । सच्चाई शायद ऐहे छै कि सम्राट थोड़ऽ बोड़ऽ भिखारी होय छै_ भिखारी थोड़ऽ छोटऽ सम्राट होय छै । आरो की फरक होते, वू मरी गेल, भिखारी के गाँव वाला सब ओकरऽ मुर्दा के उठ वाय के फेंकवाय ढेलके, आदमी सब के लागले कि पच्चीस सालऽ से एके जग्घऽ पर बैठी के भीख मांगे छेलऽ ओकरऽ चेथरा गोंदरा, टीन- टप्पर, बर्तन वासन फेंकी देलऽ गेले । फेरऽ मनऽ में ख्याल ऐले कि पच्चीस सालऽ में जमीन भी गंदा करी देलऽ होते । जमीन केरऽ माटी भी कोड़वाय के फेंकी देलऽ गेले । साफ- सुथरा करी के पवित्र बनैलऽ गेले । ऐहे रंऽ सबके साथे व्यवहार होय छै मरी गेला पर । भिखारी के साथ ही हैरंऽ होय छै, एन्हऽ बात नांय छै । जेकरा अपनऽ प्रेमी कहे छै, ओकरा साथ भी ऐहे व्यवहार होय छै । मरी गेला पर मुर्दा कहाबे छै । घर- द्वार जमीन खजाना सब यही रही जाय छै ।
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