भगवान बुद्ध केरऽ उपदेश | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
भगवान बुद्ध अपनऽ आर्थिक आरऽ राजनीतिक विचार केरऽ सिंहनाद करलऽ छेलाता चोरी, हिंसा, नफरत, निर्दयता जेन्हऽ अपराध केरऽ कारण गरीबी छै । सजा दै क नांय रोकलऽ जाप सके छै, गांव में भोजन करला केरऽ बाद गौतम बुद्ध केरऽ उपदेश होय वाला छेले कि एक किसान भूखलऽ- पियासलऽ वहां पहुँचलऽ भगवान बुद्ध ने कहलका पहले एकरा खाना खिलाबऽ । ओकरऽ बाद उपदेश शुरू होते । भगवान बुद्ध कहलका भूखले आदमी के उपदेश सुने में मन नांय लागते ? भूख से बोड़ कोय दुःख नांय होय छै । भूख हमरऽ शरीर केरऽ ताकत कमकरी दै छै । जेकरा से हमरऽ खुशी, शान्ति, स्वास्थ्य सभे समाप्त होय जाय छै । हमरा भूखलऽ लोगऽ के नांय भूलना चाहीवऽ । अगर हमरा एक सांझ खाना नांय मिले ते हम्में परेशान होय लागे छिये । वू लोगऽ के कष्ट केरऽ कल्पना करऽ जेकरा दिन केकहे हफ्रतों तक बराबर खाना नांय मिले छै । हमरा एन्हऽ इंतजाम करना चाहीवऽ कि दुनियां में एक भी आदमी भूखलऽ नांय रहेले पड़े । उपदेश देते होलऽ भगवान बुद्ध ने कहलका, राज्य केरऽ अर्थ व्यवस्था आरोऽ न्याय प्रणाली सुधारऽ । सजा देना, जेल भेजना, शारीरिक दंड देला से अपराध पर काबू नांय पैलऽ जाय सके छै । अपराध आरऽ हिंसा ने भूख आरऽ गरीबी केर परिणाम होय छै । जनता केरऽ सहायता ओकरऽ सुरक्षा केरऽ सर्वोत्तम उपाय के लेलऽ ध्यान देना उचित होते । गरीब किसानऽ के भोजन बीज आरो खाद पर तब-तक आर्थिक सहायता देलऽ जाय जब-तक वू आत्म निर्भर नांय होय जाय । छोटऽ व्यापारी के पुंजी उधार देलऽ जाय, सरकारी कर्मचारी के पर्याप्त वेतन देलऽ जाय, लोग, के अपनऽ व्यवसाय धंधा चुने केरऽ अवसर देलऽ जाय । लोक जे काम करना चाहे ओकरऽ तकनीकी शिक्षा केरऽ इन्तजाम करलऽ जाय जबे लोग अपनऽ- अपनऽ काम- धंधा लगी जैते, कोय एक दोसरा के परेशान नांय करते । भगवान बुद्ध कहलका भय आरो दंऽकेर सहारा नांय लै के लोगऽ केरऽ समस्या समझी के ओकरा सुलझाबे ले कहलका । जेकरा से समस्या केरऽ जड़ के समाप्त करलऽ जाय सके । आज भारतवर्ष में काश्मीर से लैके उत्तर पूर्व करेऽ विभिन्न राज्य में हिंसा आरो आतंकवाद से जुझी रहलऽ छै । रकार के चाहीवऽ एकरा पर ठोस कदम उठाये के आतंकवाद के खतम करलऽ जाय । तभिये यहां के लोग सुख चैन से रहे ले पारते ।
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