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Sunday, July 14, 2019

माय बाप के प्रति श्रद्धा गणेश जी से सिखऽ | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

माय बाप के प्रति श्रद्धा गणेश जी से सिखऽ | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

आदमी केरऽ जीवन सुख- दुख केरऽ जोड़ी छिके । समय एक जन्हऽ केकरो नांय रहे छै । कोय सोची लै कि हमरऽ हिस्सा में सिर्फ सुख ही सुख आबे, ई ओकरऽ भूल छिके । सुख केरऽ पीछु पीछु दुःख भी ऐवे करे छै । आदमी केरऽ जीवन में दुःख पाँच जगह से आबे छै । संसार से, संपत्ति से, संबंध से, स्वास्थ्य से, आरऽ संतान से । बांकी दुखऽ से आदमी लड़ी भी सके छै । परंतु संतान केरऽ दुःख से बोड़ऽ से बोड़ऽ आदमी के टूटते देखलऽ छिये । संतान नांय होय केरऽ दुःख ते अपनऽ जग्घऽ होबे करे छै, लेकिन संतान होय के नालायक निकली जाय से मनमें ज्यादा कष्ट दै छै । ई दुःख बचे के लेलऽ एक मात्र उपाय छै, बच्चा के जन्म से ही संस्कार से जोड़ी देलऽ जाय । बच्चा संस्कारीवान होते ते संतान से मिले वाला संताप से ते तोहें बचबे करभे । बांकी चार प्रकार केरऽ दुखऽ के भी धैर्य करेऽ साथ सामना करी ले भे । ध्यान रक्खऽ अपनऽ दांपत्य जेतना प्रेमऽ पूर्वक आरो दिव्य होन्हों, संतान ओतने संस्कारी आरो शीलवान होनहों । एकरऽ सबसे अच्छा उदाहरण छै, गौरी पुत्र गणेश । माय बाप के प्रति समर्पण की होय छै, आज केरऽ पीढ़ी के गणेश जी से सीखना चाहीव । जे आज घर- घर में विराजै वाला छथ । दस दिन चले वाला मंगल आराधना में ई संकल्प जरूर लै ले कि ई साल कुछ एन्हऽ करीयै, जेकरऽ उपयोगिता पुरे समाज के लेलऽ हुवे । एक बात आरऽ सुनऽ, अपनऽ घरऽ में माटी केरऽ ही गणेश जी स्थापना करऽ । पर्यावरण केरऽ दृष्टि से समाज के लेलऽ बहुत अच्छा संदेश छै । विद्या-बुद्धि केरऽ भंडार छिका गणेश जी हिन्कऽ अराधना जरूर करऽ ।


टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection| Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 







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