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Friday, July 12, 2019

राखी केरऽ नाता | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

राखी केरऽ नाता | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 


बात धरम केरऽ भाय- बहीन केरऽ छिके । हमरऽ माय दिल्ली अस्पताल में भरती छेली, पेट केरऽ आपरेशन होय वाला छेल्हें । हम्में बड़ी चिन्ता में छेलां । डॉक्टर की कहतऽ माय बचती की नांय ? ऐहे सब सोचे छेनां, नर्स आबी के कहलकी खून केरऽ व्यवस्था जल्दी करऽ, तोरऽ माय केरऽ हालत खराब छोंड । देहऽ में खून एकदम नांय छोड । हम्में कहलिये ई अस्पतालऽ में खून नांय मिलतै ? नर्स कहलकी तोरऽ माय के सात यूनिट खून केरऽ जरूरत छै । यहाँ ते दुइये यूनिट खून छै । पांच यूनिट खून केरऽ व्यवस्था करऽ । हमरबाबू आर हमरऽ बहनोये (जीजा) दोनों अपनऽ- अपनऽ साथी- संगी से आग्रह करी के थकी गेला । कहीं कोय ग्रुप केरऽ खून नांय मिललऽ । ठीक राखी केरऽ दिन हम्में पीसीओ पर सब परिवार से ओ ग्रुप केरऽ खून के बारे में फोन पर पुछी रहलऽ छेलिये । सब जग्छऽ से नांय केरऽ जबाब आबी रहलऽ छेले । हमरऽ चिन्ता के मारे हालत खराब छेलऽ । अबे माय केरऽ की होतऽ । वहीं बाहर एकरा जनानी हमरऽ बात सुनी रहलऽ छेली । हम्में फोन रखी के बाहर ऐलिय, वें हमरा से पुछल की केकरा खून केरऽ जरूरत छै । हम्में कहलिये हमरऽ माय के ओ ग्रुप केरऽ खून तुरंत जरूरत छै । जनानी ठेा कहलकी तोहें तुरंत हमरा साथे चलऽ, हमरऽ खून ओ ग्रुप छै । ई सुनी के हमरऽ खुशी केरऽ ठिकानऽ नांय रहलऽ । ओकरा लै के तुरंत खून निकलवाबे गेलिये । खून गेनेसन केरऽ काम शुरू होय गेले । हमरऽ जानऽ में जान ऐलऽ, अबे माय बची जेती । माय करेऽ इलाज शुरू होय गेले, खून चढ़े लागले । खून देला के बाद हम्में दोनों बातचीत करे लागलिये, पता चलले कि हुन्क नाम शांति छै । आरऽ हुन्हीं एक प्रतिष्ठित संस्थानऽ में काम करे छै । हम्में पुछलि हें कि तोरा कोय भाय छोंऽ ? हुन्खऽ मोन दुखी होय गेल्हें, आँख? में लोर भरी के कहलकी नांय । हम्में तुरंत राखी देखाय के कहलिहें, हमरऽ बहीन ससुरार से भेजलऽ छेली, ले ई खारी हमरऽ हाथऽ में बांधी के आज से हमरा अपनऽ सहोदर भाय समझऽ । शान्ति ने तुरंत हमरऽ हाथऽ में राखी बांधी देलकी । शान्ति के खुशी केरऽ ठिकानऽ नांय छै, कि आज हमरा भायं मिललऽ । शान्ति दिल्ली में रहै छै, फोन पर हमेशेर बात- चीत होते रहै छै । रक्षा सूत्र केरऽ हम्ेमं हार्दिक स्वागत करै छी । आरो, शान्ति बहीन के हृदय से सम्मान करे छिहेन, धन्यवाद दै छिहेंन कि देवदूत बनी के ऐली आरो हमरऽ माप केरऽ जान बचैलकी ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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