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Monday, July 15, 2019

पाप छुपैला से नांय छुपे छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

पाप छुपैला से नांय छुपे छै  | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

पाप छुपैला से नांय छुपे छै । कोय न कोय रूपऽ में सामने आइये जाय छै वहे तरह छल- कपट वाला देखार होइये जाय छै । जबे समुद्र मंथन होय रहल छेले, वेहे बीचऽ में राहुऽ छल कपट केरऽ नियत से देवता केऽ बीचऽ में ढुकी के बैठी गेलज । देवता सनी राहु के नांय देखे ले पारलका समुद्र मंथन में चौदहरत्न निकललऽ छेले । जेमे अमृत भी निकललऽ छेलै । विष्णु भगवान देवता सभी के अमृत पिलाय रहलऽ छेलात । राहु भी देवता सनी के पंगती में बैठी के अमृत पी लेलकऽ । मने- मने खूब खुश छेलऽ, हमरा से छुपाय के अपने सब अमृत पीये छेला । आज हम्में भी अमृत पी लेलां । अबे हमरा कोय नांय मारे ले पारतऽ । धोखे बाज राहु के सूर्य आरो चन्द्रमा ने राहु के अमृत पीते देखी लेलकात । तुरंत ई बात विष्णु के कहलका, राहु धोखा से हमरा सनी के साथे अमृत पीलेल छै । भगवान विष्णु गुस्सा में आबी गेला आरो अपनऽ चक्र से राहु केरऽ माथऽ देहऽ से अलग करी देलका । तब तक राहु अमृत पी चुकलऽ छेले । तही से राहु नायं मरले । ओकरऽ माथऽ वाला भाग राहु, आरो देहऽ वाला भाग केतु बनी के प्रकट होय गेलऽ । भगवान सबके साथ लड़ा ये शुरू करी देलकऽ । अरे धोखेवाज धोखा से अमृत पीबी के लड़ाये करते लाज नांय लागे छऽ । सूर्य आरो चन्द्रमा से बैर राखै छें ? राहु चुपचाप सुनते रहलऽ । समय ऐला पर राहु सूर्य- चन्द्रमा के ग्रसीये ले छै । काहे कि अमृत के असर राहुवऽ के छेले । ऐसे से कहलऽ गेलऽ छै कि छल- कपट वाला आदमी से दूरे रहना चाहिवऽ । काहे कि जे ई अपनऽ कुमति व्यवहार में सफल होय गेलऽ एकरऽ दुष्ट करनी केरऽ प्रभाव, ग्रहण आरो आदमी पर पड़बे करै छै ।


टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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