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Sunday, July 14, 2019

मनऽ केरऽ बात | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

मनऽ केरऽ बात | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 


ईश्वर केरऽ देलऽ होलऽ ई जिन्दगी में कोय मोड़ पर हमरऽ कोय न कोय प्रिय हमेशा के लेलऽ छुट्टी जाय छै । जेकरऽ आबे केरऽ रास्ता सब तरफ से बन्द छै । एन्हऽ में ऐहे ख्याल आबे छै कि दुनियां से जाय वाला नांय जाने कहाँ चलऽ जाय छै । विश्वास करना आसान छै कि दुनियां केरऽ ई भीड़ऽ में वेहे आदमी नांय देखाय रहलऽ छै जे हमरऽ प्रिय छेले । जेकरऽ अपनऽ हमेशा के लेलरऽ छुट्टी चुकलऽ छै, वेहे ई दर्द के समझी सके छै । जे चलऽ गेले ओकरऽ पीथु रही जाय वाला ई दर्द के साथ कैसे जीवन बिताबै छे, ई एक भुक्त भोगी ही समझी सके छै । हर घड़ी ऐहे लागे छै, वू कहीं से निकली के सामने आय जेतले, ई भगवान केरऽ देलऽ होलऽ एन्हऽ पीड़ा छै, जे हमरा बारं बार याद दिलाबै छै कि वू परम सत्ता केरऽ सामने हमरऽ कुछ भी नांय छै । बस बेवसी छै, अपनऽ आदमी के हमेशा- हमेशा के लेलऽ खो देना बहुत अधिक पीड़ा होय छै । जे हमरा आगु जीये केरऽ इच्छा ही खतम करी दै छै । हम्में समझ ही नांय पाबे छिये कि जेकरा साथ कल तक जिन्दगी केरऽ सब घड़ी बीती रहलऽ छेले, वू अबे कहियो नांय आबे वाला छै । हमरऽ जिन्दगी केरऽ समय ही बदली गेले । यहाँ तक कि लोगऽ केरऽ व्यवहार भी बदली गेछऽ छै, एन्हऽ में आदमी के अपनऽ दुख खतम करे केरऽ एके रास्ता नजर आबे छै, अपने के ही खतम करी दिये । एन्हऽ बहुत पीड़ा झेली रहलऽ लोगऽ से हमरऽ एक आग्रह छै कि थोड़ऽ ठहरऽ आरो सोचऽ कि हम्में अपनऽ जिन्दगी में एकरा से भी ज्यादे मानसिक पीड़ा नांय काटलऽ छिपे ? कुछ नांय करी के भी दोसरा या अपना से पैलऽ होलऽ धोखा, अपमान, कट वचन, तिरस्कार, हमेशा नीचा देखाबै केरऽ कोशिश जब ई सब समय केरऽ मार समझी के कारी ले लियो ते काहे नांय एकरा भी समय आरो भगवान केरऽ निर्णय मानी के आगु बढि़ये । कहलऽ छै भगवान ने सब के ई धरती पर कोय न कोय उद्देश्य से ही भेजलऽ छथिन । एकरा खतम करे केरऽ अधिकार हमरऽ नांय छिके । जों ई धरती पर अपनऽ इच्छा से नांय एलऽ छिये, ते जाय केरऽ निर्णय भी हम्में नांय लै सके छिये । अपनऽ प्रिय केरऽ मृत्यु के बाद हमरऽ जीवन केरऽ कोय अर्थ नांय रहले ते अपनऽ ई सोचऽ के विराम (रोक) देते होलऽ, हमरा ई सोची के आगु बढ़ना चाहीव, कि दुनियां में एन्हऽ लोगऽ से भरलऽ पड़लऽ छै । जेकरऽ हालत हमरा से भी बदतर छै, जबे वू अपनऽ विषम (दुर्लभ) हालत से लोहा लै के आगु बढ=ी सके छै, ते हम्में काहे नांय ? (कत्ते लोग छै जेकरा हमरऽ जरूरत छै, बस अबे निर्णय ले आरो वू आदमी के सहायता के लेलऽ आगु बढ़ऽ जे तकलीफ में छै । थोड़े से शुरूआत करऽ तोहें अपने अनुभव करमऽ कि तोरऽ मनऽ केरऽ तकलीफ कम होय रहलऽ छै । ऐ हे ते तोहे चाहे छेल्हऽ । देर की बात केरऽ आगु बढ़ऽ आरो बनाबऽ अपनऽ आरो दोसरा केरऽ जिन्दगी के ।


टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection| Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

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