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Sunday, July 14, 2019

सुबह उठना श्रेष्ठतम छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

सुबह उठना श्रेष्ठतम छै  | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

आजकल जेत्ते भी काम कठीन मानलऽ जाय छै, ओकरा में से छै बिहाने जल्दी उठना । आबै वाला दस- पन्द्रह साल बाद ते शायद जल्दी उठे वाली पीढ़ी ही खतम होय जेते । जल्दी उठे केरऽ महत्व तबे समझते जबे प्रातः काल केरऽ मतलब समझ में ऐते । प्रातः काल यानि सूर्योदय केरऽ घड़ी । काहे कि वू समय सूरज उदय होय छथिन, ऐहे से ध्यान मय, ज्ञानमय आरेा पराक्रम मय ऊर्जा एकदम ताजा उदय होय छथिन, ई समय सभे देवता अपनऽ शक्ति के साथ हवा के रूपऽ में आवे छथिना शास्त्र काइ ने काल पुरूष के एक घोड़ा केरऽ उपमा देते होलऽ । कहलऽ छथिन की उषा काल यानि बिहाने बिहाने वू घोड़ा केरऽ माथऽ छै । जे ई समय के गमैलकऽ समझऽ वें काल पुरूष केरऽ माथऽ ही काटी देलकऽ । ऐहे से हिाने केवल बिछौना छोड़ना नांय, ओकरा से भी ज्यादा समय से पकड़ना छै । बिहाने जल्दी उठना एक नियम छै । फेरू दिन भर हमरा परिश्रम (मेहनत) भी करना छै । जेकरा अनुशासन (नियम) से स्पर्श मिली जाय वू कम मेहनत में भी ज्यादा सफलता पाय लेते । एक पहलवान दोसरऽ पहलवान के पटकी दै छै, आरेा ओकरऽ छाती पर चढ़ी जाय ते ऊपर वाला के ज्यादा ताकत लगे छै । काहे कि ओकरा फिकिर रहे छै कि नीचे वाला पहलवान की तरह से छै । हम्में ऊपर वाला के रूपऽ में ओकरा पर नियम लदी देलऽ छिये । नियम के दबाव नांय बनाबऽ । बिहाने उठै केरऽ मतलब ई समझऽ कि प्रकृति जो अपनऽ श्रेष्ठ दै रहलऽ छै, तो हमरा जरूर लेना चाहीवऽ बिहाने बिहाने सूर्य केरऽ किरण देहऽ में लागे से देह निरोग रहे छै ।


टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection| Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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