श्री राम आरो रावण | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
जबे राम आरेा रावण में युद्ध चली रहलऽ छेले, जहाँ तक ओर राक्षस सेना दलबल के साथ, श्री रामकेरऽ वानर सेना पर बुरी तरह से हमला करी रहलऽ छेले । दोसरऽ तरफ से लक्ष्मण आरो हनुमान केरऽ युद्ध कौशल देखते बनी रहलऽ छेले । धर्म युद्ध में राम केरऽ सेवा लगातार राक्षस सेना के पीछु हटाय में लाचार करी रहलऽ छेले । राक्षस वानर केरऽ उत्पात से डरी के वापस लंका भागी गेलऽ । ई युद्ध में रावण केरऽ कत्ते भाय, पुत्र, बंधु बांधव आरो प्रिय योद्धा मारलऽ गेलऽ । फेरू वू दिन भी आलऽ जबे रावण केरऽ पुत्र मेघनाद युद्ध भूमि में अहंकार के साथ पहुँचला । रावण केरऽ सबसे प्रिय पुत्र छेलऽ । वू परमवीर, विद्वान आरो रण कौशल में पारंगत होय के साथ- साथ बहुत पितृ भक्त भी छेलऽ । जबे लक्ष्मण के मारै ले मेघनाद ने अपनऽ सबसे अमोध ब्रह्म, पाशुयत आरो विष्णु शस्त्र चलालकऽ सब लक्ष्मण केरऽ सम्मान में बेकार (निस्तेज) होय के विलीन लक्ष्मण केरऽ शक्ति केरऽ ख्याल होते, मेघनाद वहाँ से भागलऽ । सीधे रावण के पास पहुंचलऽ । पिताश्री ? अपनऽ युद्धानुभव से हमरा ज्ञान होलऽ कि श्री राम आरो लक्ष्मण भगवान केरऽ रूप छिका । ऐसे से तोहें लंका आरो प्रजा केरऽ कल्याण के वास्ते माता सीता के श्री राम के सौंपी दे । पुत्र केरऽ बात सुनी के रावण क्रोध से तमतमाय उठलऽ । मेघनाथ के कायर कही के युद्ध से डरी के भागे केरऽ आरेल लगालकऽ मेघनाथ बोललऽ हम्में श्रीराम के तरह पिता केरऽ वचन निर्वाह हेतु लक्ष्मण से युद्ध करते होलऽ वीरगति के होय जाबऽ, लेकिन कायर कहाय के जीना पसंद नांय करबऽ ।
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