जेन्हऽ वातावरण तेन्हऽ विचार | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Jenhow Vatawaran Tenhow Vichar | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
उपदेशं से जीवन देखे करेऽ दृष्टि बदली जाय छै । आरो दृष्टि बदलते ही सृष्टि बदली जाय छै । एकबार एक राजा शिकार पर गेलऽ छेलात । रास्ता में देखल का कि एक साधु पथलऽ पर धयन मग्नन बैठलऽ छै । राजा अपनऽ एक नौकर के कुछ टाका दे के साधु के पास भेजलका नौकर साधु करेऽ पास गेलऽ आरो टाका दे करेऽ कोशिश करे लागलऽ साधु आंख खोली के देखलका आरेा टाका ले से इंकार करी देलका । राजा दोसरऽ नौकर के कुछ ज्यादा टाका देके भेजलका, साधु टाका लेसे इंकार करी देलका । राजा फेरू तेसरऽ नौकर के भेजलका, साधु टाका ले से इंकार करते गेला । अंत में राजा अपने टाका ले के साधु केरऽ पास गेला । आरो साधु के टाका दे लागला । साधु कहलका राजा ई टाका कोय गरीब कंगाल के बांटी दहऽ जेसे ओकरऽ कुछ उद्धार होता जेते । राजा कहलका महाराज आपने के पास कुच्छु दिखाई नांय दे रहलऽ छै, नां कम्बल नांप कमंडल, आपने से बदी के कंगाल आरो कौन होय सके छै । साधु कहलका राजा हम्में कंगाल नांय छिये, हमरा पास सोना बनावे केरऽ यंत्र छे । एहे से हमरा तोरऽ धन केरऽ कोय जरूरत नांय छै । हम्में चाहिये तो सोना केरऽ पहाड़ बनाय सके छिये। राजा वहां से अपनऽ महल चलऽ ऐला । लेकिन हुन्कऽ मनऽ में सोना बनावे केरऽ बात कानऽ में गूंजे लागल्हें । राजा साधु केरऽ पास फेरू गेला आरऽ सोना बनाबे केरऽ रसायन जाने केरऽ इच्छां प्रकट करलका, साधु राजा के रोज वहाँ आबे ले कहलका । राजा रोज साधु के पास जाय लागला । आरो साधु रोज राजा से धर्म चर्या बताबथ । एक साल तक राजा रोज धर्मचर्या सुनते- सुनते राजा केरऽ मनऽ में धार्मिक भाव जागी गेल्हें । आरो हुन्हीं साधु केरऽ सोना बनाबे केरऽ रसायन जानी गेलात । राजा के लेलऽ स्वर्ण रसायन केवल भौतिक विषय नांय रहलऽ धार्मिक उत्थान से भी वैराग्य भाव पैदा होय छै । ओकरऽ आगु बाड़ेऽ से बाड़ेऽ शक्ति भी फीका छै । नियमित रूपऽ से व्यक्ति जे वातावरण में रहे छै वेहे विचारऽ वाला हो जाय छै । चाहे ई विचार कोय भी प्रकार केरऽ हुए ।
टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
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