रंगरूप नांय योग्यता देखलऽ जाय छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
देह केरऽ बड़ाई वाला ई संसार में सुन्दरता केरऽ आँख से रंग-रूप केरऽ बहुत विशेषता छै । गोरऽ चकड़ी आरो कारऽ चमड़ी ले के बहुत देराऽ में सामाजिक युद्ध तक होय चुकलऽ छै । गोरऽ रंग कत्ते आदमी के लेलऽ घमंड केरऽ कारण बनी जाय छै । एकरऽ विपरीत कत्ते आदमी सांबर रंग के कारण हीन भावना से घिरी जाय छै । जे अदमी के पास योग्यता छै ते देहऽ के रंग छिपी जाय छै । संसार के लोग जेकरा वेद व्यास केरऽ नाम से जानै छै । हुन्ही वेदऽ केरऽ संपादब करल छेलात । गुरू पुर्णिमा भी हुन्खें नामऽ से जानलऽ जाय छै । वेद व्यास केरऽ असली नाम द्वैपायन छेलहें । कोहकि हुन्खऽ जनम नदी केरऽ बीच टापू पर होलऽ छेल्हें । सांवर या कारऽ रंग होला के कारण कृष्णा भी कहाबै छेलात । द्वैपायन ने खाली वेद केरऽ संपादन नांय बल्कि पुराण, भागवत आरो महाभारत केरऽ कळाा भी लिखलऽ छथीन । ऐहे से हुन्खा व्यास चाहे वेद व्यास कहलऽ जाय छै । हुन्हीं बहुत बोड़ऽ विद्वान छेलात, अपनऽ साहित्य करेऽ जे संपादन करलऽ छथ, ओकरा में ज्ञान केरऽ प्रमुखाता देलऽ छथीन वल्कि जानकारी केरऽ संकलन भी करलऽ छथीन । हुन्खऽ महाभारत में जो सब छै, ऊ सब ई संसार में भी नांय छै । वेद व्या केरऽ समूचे चरित्र से ई स्पष्ट सूचना मिले छै कि देह केरऽ रंग रूप से आदमी केरऽ गुण आरो योंग्यता के अन्दाज नांय करलऽ जाय सके छै । देह के भीतर एक आत्मा छै, असल में हृदय आरऽ बुद्धि केरऽ संतुलन जे बात से होप छै, ओकरा लेलऽ देह एक माध्यम छै कारण नांय । ऐहे से चमड़ी केए रंग पर नांय जाय के आदमी केरऽ योग्यता आरो गुणऽ पर ध्यान देना चाहीव । ऐही सही मूल्यांकन होतै ।
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