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Thursday, July 11, 2019

प्रकृति परमात्मा केरऽ रूप छिके | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

प्रकृति परमात्मा केरऽ रूप छिके | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 


एक सजन्न छेला, बहुत बोड़ धनी मानी आदमी हुन्खा आगु बढ़ै केरऽ बिचार छेल्हें । बहुत कल- कारखाना तकनीकी व्यवस्था करलऽ छेला । छुन्कऽ पोता विदेश से ऊँचऽ प्रबन्धन केरऽ शिक्षा लै के अपनऽ बाप-दाना केरऽ व्यापार में जुटी भेलऽ छेलऽ । एक नया कारखाना खोले वास्ते भूमि पूजन केरऽ आयोजन करलऽ गेलऽ छेले । जबे पूजा करेऽ तैयारी होय रहलऽ छेले, पोतां ने अपनऽ दादा से पुछलके, कारखाना हम्में बनवाय रहलऽ छी व्यापार केरऽ जेत्ते नियम कानून छै सभे में हम्में खरचकरी रहलऽ छी, ते फेरू ई भूमि पूजन काहे ? माटी में अक्षत चन्दन समय काहे बर्बाद करबऽ । समझी गेला, नया युग केरऽ छौंडा सनी विज्ञान आरो मशीन केरऽ बात एकरऽ माथा में ढुकलऽ छै । प्रकृति केरऽ अर्थनांद जानी रहलऽ छै । दादा ने पोता के समझे का, जों तोरऽ गला में फूलऽ केरऽ माला पें हेलऽ जाय ते तोरा केन्हऽ लगतो ? पोता कहलके अच्छा लागते । दादा ने फेरू कहलके जो तोरा गला में चट्टी चप्पल केरऽ माला पेन्हलऽ जाय तबे किरंऽ लागतो ? पोतां ने कहलके खराब लागते । अच्छा आरे खराब तोरऽ गला में लागतो कि आत्मा में ? पोतां ने कहलके ीाीतर आत्मा में लागते । तबे दादा बोलला ऐहे बात धरती के साथ छै । तोहें धरती केरऽ आदर करभऽ तबे धरती प्रसन्न होती । अपमान करे से धरती नाराज होय जेती । हुन्का दुःखी रखी के तोहें सुखी कैसे रहे ले पारभऽ धरती जड़ नांय चैतन्य छै, धरती अपने कहे छथीन कि हमरा नदी, तालाब, पहाड़ ईसब केरऽ बोझऽ नांय मालूम पड़े छै । जबे हमरा ऊपर उपद्रव करे छै हमरऽ नियम केरऽ प्रतिकूल चलै वाला जनम लै छै, तबे हमरा ओकरऽ भार ज्यादे मालूम पड़ै छै । भूमि पूजन खाली कर्म काण्ड नांय बल्कि सब दिन चलते रहना चाहीव । कभी वृक्षा-रोपन केरऽ सूपऽ में, कभी पर्यावरण केरऽ रूप में । तोहें प्रकृति केरऽ मान करमऽ, तबे तोरा सम्मान देती । प्रकृति एक परमात्मा केरऽ रूप छिकी । पर्यावरण आरऽ प्रदूषण के सही रूपऽ में सम्मान छै, ते पहिले प्रकृति के आदरणीय रूपऽ में देखे ले होतै ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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