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Thursday, July 11, 2019

अपनऽ प्रसंशा पुण्य के नष्ट करी दै छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

अपनऽ प्रसंशा पुण्य के नष्ट करी दै छै  | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 



दीर्घकाल तक राज्य करै के उपरान्त, महाराज ययाति ने अपनऽ राज्य पुत्र के दै देलका, आरो अपने वनऽ में जाप के तप करे लागला । कठोर तप के फल स्वरूप हुन्हीं स्वर्ग पहुंची गेला । कभी देवता सब के साथे बैठे छेला, कभी ब्रह्मलोग पहुंची जाय छेला । ययाति केरऽ मान बुहत बढ़ी गेलऽ छेल्हें । ई सब देखी के देवता भी ईर्ष्या करे लागला । इन्द्र केरऽ सभा में जाय छेला, ते हुन्कऽ तप केरऽ कारण इन्द्र के अपने से नीचे बैठाबे केरऽ हिम्मत नांय होय छेहें । इन्द्र ने अपनऽ आसन पर साथे बैठाबे ले पड़े छेल्हें । ई बात इन्द्र के नांय सोहाय छेल्हें । देवता भी मृत्युलोक केरऽ कोय जीव के सिंहासन पर बैठलऽ नांय देखे ले पारे छेला । इन्द्र देव केरऽ भावना से सब देवता परिचित छेला । एक दिन ययाति से पुछलका अपने केरऽ पुण्य तीनऽ लोकऽ में विख्यात छै । अपने केरऽ बराबरी, भला कौन करे ले पारते । हमरा ई जानै केरऽ इच्छा होय रहलऽ छै कि अपने कौन एन्हऽ तप करन्हो जे ब्रह्मलोक में इच्छानुसार रही रहलऽ छऽ । अपनऽ प्रसांशा सुनी के ययाति, इन्द्र केरऽ वाणी जाल में फंसी गेला । ययाति इन्द्र से कहलका, हे इन्द्र देवता । हमरऽ समान मनुष्य, गंधर्ब, ट्टषि में से कोय एन्हऽ नांय छै, जे हमरऽ बराबरा तपस्या करलऽ होता । एतना सुनते इन्द्र केरऽ स्वर कठोर भय गेल्हे । यथाति के डपटी के कहलका, हमरऽ सिंहासन से उठी जा । अपनऽ प्रसंशा अपने मुँहऽ से करी के सब पुण्य खतम करी लेल्हे । तोहें ई जानला बिना कि मनुष्य, गर्धव, ट्टषि मुनि सब देवता केरऽ तुलना करे लागल्हे । सब केरऽ तिरस्कार करे लागल्हे । अबे तोहें स्वर्ग से नीचे गिरी जाभे । आत्म प्रसंशा से ययाति केरऽ तप फल खतम होय गेलऽ । स्वर्ग से नीचे गिराय देलऽ गेल्हेंन । ऐहे से कहलऽ गेलऽ छै । प्रसंशा दुसरे केरऽ मुंहऽ से हुवे ते अच्छा छै । अपनऽ प्रसंशा अपने करे से आदमी केरऽ मान- सम्मान खतम होय जाय छै । अपनऽ प्रसंशा दोसरे के मुँहऽ से अच्छा लागै छै ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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