सच्चा मन से करऽ उपकार | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
वनऽ में शेर- शेरनी अपनऽ शिकार खोजते- खोजते बहुत दूर निकली गेली, शेरनी केरऽ बच्चा अकेले रही गेले । काहे कि बच्चा बहुत छोटऽ छेले । ऐहे से साथ नांय ले जाय सकले का । दोनों के आबे में बहुत देर होय गेले । बच्चा भूखऽ से छटपटय रहला छे ले । वहीं पासऽ में एकरा बकरी चरी रहल छेली । शेरनी केरऽ बच्चा के छटपटाते देखी के बकरी के दया आबी गेले । भूखऽ बच्चा केरऽ हालत खराब हुबे लागले, बकरी शेरनी केरऽ बच्चा के अपनऽ दूध पियेलकी आरो ओकरऽ प्राण बचैलकी । बच्चा के अपना पास बैठाय दुलारे- पुचकारै लागली । शेरनी केरऽ बच्चा बकरी केरऽ देहऽ पर उछली- कुदी रहलऽ छेलऽ । एतने में शेर- शेरनी आबी गेली । बकरी के अपनऽ बच्चा के पास देखी के आग- बबुला होय गेली, शेरनी बकरी से कुछ कहतली कि पहिल हीं ओकरऽ बच्चा सब सुनाबे लागले । बकरी माय नांय रहतली ते आज हम्में भूखऽ से मरिये जातलां । बकरी माय हमरऽ प्राण बचालऽ छै । ई सुनी के शेर- शेरनी अपनऽ करनी पर लजाय गेली आरेा बकरी से क्षमा मांगलकी कहलकी ई कर्जा हमरा पर रहले । तोरऽ ई उपकार कभी नांय भूलबे । शेर बकरी से कहलके तोहें आजाद छऽ । आरेा पुरे वन में निर्भयता के साथ घुमी सके छऽ । तोरा के करो से भयभीत होय केरऽ जरूरत नांय छै । बकरी पुरे वनऽ में अपनऽ बच्चा के साथ रहे लागली । यहाँ तक कि शेर केरऽ पीढी पर बैठी के कभी- कभी गाछी केरऽ पत्ता भी खाय छेली । ई सब दृश्य चीज देखलके ते हैरानी में पड़ी गेले । बकरी से चील पुछलकी ई संबंध किरंग बनलै ।, भोली- भाली बकरी पूरा कहानी सुनैलकी, साथ में उपकार केरऽ महत्व भी समझैलकी, काहे कि चील ते मतलबी आदत केरऽ छेली, लेकिन बू भी केकरों पर उपकार करे- केरऽ मनऽ में ठानलकी ।
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