मौक्ष केरऽ अर्थ छिकै मनुष्य केरऽ उच्चऽ स्थिति | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
समय केरऽ सदुपयोग करे में सब से महत्वपूर्ण बात छै, जे समय में जे करना चाहिवऽ ओकरा करे समय सावधान रहे । दुनियाँ में सब चीज पुनः प्राप्त करलऽ जाय सके छै । सिर्फ बिजलऽ समय के छोड़ी के । कुछ धार्मिक व्यवस्था पूर्व जन्म में विश्वास रखै छै । पूर्व जन्म में विश्वास केरऽ अर्थ छै, वर्तमान के प्रति ज्यादे सावधान रहे केरऽ काम छै । आदमी के अनेक जन्म होते रहे छै, लेकिन जे अपनऽ काम करेऽ सद्पयोग करे छै, ओकरे मोक्ष प्राप्त होय छै । मोक्ष केरऽ सीधा सन अर्थ छै उच्चऽ स्थिति । ऐकरा खाली जन्म मृत्यु से जोड़ी के नांय देखलऽ जाय । रोज दिन आदमी जनम लै रहलऽ छै । यानि दिन भर काम करी रहलऽ छै । रात के सुते छै, बिहार होतें उठी के कामऽ में लागी जाय छै । ई तरह से जहाँ चुकी गेलऽ, वहीं असफलता हाथ लागते । जैन मुनि एक किाा सुनैलका एक बेर एक मनुष्य के शिव नगर जाय ले छेले । वहाँ एक बहुत बोड़ऽ किला छेले । आरो किला में एकेरा दरबाजा छेले । ऊ आदमी आँधरऽ छेले, कोय दयालु ने ओकरा समझैल के कि तोहें दिवार छुतें-छुतें जो, जहाँ दरवाजा मिलतौ भीतर ढुकी जइहें, लेकिन ध्यान रखिहें कि दीवार छुःके चलते समय कोय प्रमाद, आलस्य या कोय दोसरऽ गति विधि में नांय पडि़हे । ऊ आदमी चलते रहलऽ बीच में पानी पीये कभी माथऽ नोंचे, ई तरह से अपनऽ गतिविधि करते गेलऽ । नतीजा ई भेले कि संयोग से जे समय दरबाजा सामने ऐले दीवारऽ से हाथ हटाय के कुच्छु आरो काम करे लागलऽ, दरवाजा में नांय ढुकै ले पारलकर किला केरऽ चक्कर काटते रही गेलऽ । अधिकांश लोगऽ के साथ एहे रंऽ होय छै । सबदिन परिश्रम करते रहे छै, जबे कुच्छु उपलब्धि केरऽ बेरा आबै छै, रास्ता भटकी जाय छै । आलस्य या लापरवाही के कारण । एकरे नाम असफलता छिकै । ऐहे सावधानी केरऽ अर्थ छिकै अपनऽ ई जन्म के सुधारऽ एही उद्देश्य से पूर्व जन्म केरऽ व्यवस्था छिकै ।
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