शरीर आरऽ आत्मा केरऽ अलग-अलग महत्व | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
दुनियाँ केरऽ उद्देश्य में देह केरऽ महत्व बढ़ी जाय छै । लेकिन आध्यात्मिक उद्देश्य में आत्मा देहऽ से ज्यादे महत्वपूर्ण छै । बुद्ध के भिक्षुणि संघ में प्रकृति नाम केरऽ एक भिक्षुणी छेली । गौतम बुद्ध ने देहऽ केरऽ सुन्दरता पर बोलते होल प्रकृति केरऽ उदाहरण देलऽ छलथीन हुन्हीं एक घटना सुनैलथीन एक बार भिक्षु आनन्द कही जाय रहलऽ छेला । हुन्का प्यास लागलऽ । एक लड़की के नदी से पानी ले जाते देखलका, ओकरा से पानी मांगलक ऊ लड़की कहलके हम्में अछूत जाति केरऽ छिको । पानी किंर दिहंऽ । हमरऽ छुवलऽ पानी पिमे ते जाब चलऽ जेवें । आनन्द ने कहलके हमरा पानी चाहिव तोरऽ जात नांय । ऊ लड़की आनन्द से एत्ते प्रभावित होय गेली कि हुन्का से बीहा करे केरऽ मोन होय लागले । प्रकृति अपनऽ माय से कहलकी हम्में बीहा एहे लड़का संग करबऽ । माय समझैलके ऊ बौद्ध शिष्य ब्रह्मचारी छिके, वे बीहा नांय करे केरऽ संकल्प लेलऽ छै । लेकिन बेटी अड़ी गेली, माय के कहलकी ऊ लड़का के अपनऽ घरऽ में बोल के कुछ जादू मंतर करी के ओकरा संग बीहा कराय दे । माय अपनऽ बेटी केरऽ बात मानी के जादू मंतर कर लकी, लेकिन आनन्द के प्रभावित नांय कई सकलकी । जबे बात बहुत बढ़ी गेलऽ तबे आनन्द ने बुद्ध से सब बात बतैलकऽ । बुद्ध ने ऊ लड़की के बोलैलक आरो पुछलका, तोहें आनन्द से बीहा करे ले कहो चाहे छें ? तोरा ओकरऽ कौन अंग ज्यादे पसंद छऽ । लड़की ने कहलके हमरा हुन्कऽ चेहरा पर आंख, कान, आरो नाक पसंद छै । बुद्ध ने कहलका, आँख में आँसू छै, कान- नाक में मैल छै, केवल देह से प्रेम कई छें, ते ई वें संयम से अर्जित करलऽ छै । ई ढाँचा अंततः खत्म हो जाय छै । बुद्ध केरऽ बातऽ पर लड़की विचार करलकी ओकरा लागले कि हम्में आनन्द केरऽ देहऽ पर ही आर्वित होल छी । तबे ऊ लड़की आत्मा केरऽ बारे में जानलकी, आरऽ भिक्षुणी बनी गेली । असल में देहऽ केरऽ उपयोग ते छै लेकिन देह अंतिम लक्ष्य नांय होय सके छै । समूचा व्यक्तित्व केरऽ विकास करे ले छै ते देहऽ के संग आत्मा के भी जानै ले होतै ।
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