गाढ़े वक्त में हुनर काम आवे छे | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
एक बादशाह छेला, हुन्हीं वेश बदली के प्रजा केरऽ हाल- जाने ले सगरऽ घुमे छेला । एक दिन घुमते- घुमते बहुत दूर निकली गेला, वहाँ गरीब केरऽ बस्ती छेले, जहाँ मजदूर चरवाहा रहे छेले । वहाँ बादशाह के एक सुन्दर कन्या नजर एलहेन । बादशाह कन्य के बारे में पता लगेलका आरेा ओकरऽ भाय के खबर भेजबैलका कि हुन्हीं ओकर बहीन से बीहा करे ले चाहे छय । चरवावहा खबर भेजबेलके कि हम्ें अपनऽ बहीन केरऽ बीहा ऊ आदमी से करबऽ, जेकरा पास कुछ हुनर होते । जो बादशाह के पास कुछ हुनर दैन तो बतावें । अपन बहीन केरऽ बीहा बादशाह संगकरी देवे । बादशा बहुत सोच- विचार में पड़ी गेलात । हुन्का पास कोय एन्हऽ हुनर नांय छेल्हे । जे कन्या केरऽ भाय के संतुष्ट करी सके छेलात । चरवाहा से पुछलक केन्हऽ हुनर से तोहे संतुष्ट होबे । चरवाहा कहलके तोहें कालीन बनाबे ले जाने छ अपनऽ बहीन केरऽ बीहा तोरा संग करी देवे । बादशाह ओकरऽ बात मानी लेलका, आरो कालीन बनाबे केरऽ काम सीखे लागला । बादशाह एकरा सुन्दर कालीन बनैल का आरो चरवाहा के भेजी देलका । चरवाहा के हुन्कऽ कला पर विश्वाास होय गेले, कभी मुसीबत पड़ला पर अपनऽ साथ-साथ हमरऽ बहीन केरऽ भी निर्वाह करी लेता । अपनऽ बहीन केरऽ बीहा बादशाह केरऽ साथ करी देलकऽ । ओकर बहीन बादशाह केरऽ बेगम बनी गेली । बादशाह बेगम से कहलका कालीन में एक जगह अपनऽ नाम लिखलऽ लिखी देलऽ छथ, बादशाह के अलावा बेगम ही जाने छथ आरो पढ़ी सके छथ । कुछ दिनऽ के बाद बादशाह प्रजा केरऽ हाल-चाल जाने ले निकलले रास्ता में एक जगह डाकू पकड़ी लेलकऽ डाकू केए काम छेले, जेकरा कोय हुनर नांय आबे छेले सब के बलि चढ़ाय दै छेले । बादशाह कहल का हमरा कालीन बनाबे ले आबे छे । डाकू केरऽ सरकार बादशाह से कालीन बनबैलकऽ । बादशाह कालीन में एक कोना में अपनऽ नाम लिखी देलऽ छेलात । डाकू व्यापारी बनी के हुन्के राजमहल में कालीन बेचे ले गेलऽ । बेगम देखलकी कालीन चिन्ही गेली । ई कालीन ते बादशाह केरऽ बनालऽ छिके । तुरंत डाकू सरकार के गिरफ्रतार करी लेलकी । आरो बादशाह के छोड़वाय लेलकी, बादशाह भी हुनर केरऽ महत्व जानी गेला ।
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