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Thursday, July 11, 2019

प्रायश्चित | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

प्रायश्चित | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 


आज घनू धऽर आर्द्रा पूजा केरऽ बड़ी धूम धाम छै । दाल भरलऽ सोन्हऽ सोन्हऽ पुड़ी, शुद्ध दूध केरऽ काजू, किसमिस, केशर डाललऽ खीर, पक्का आम, पाकलऽ कटहल केरऽ कोवा, जामुन भी छेले । पूजा पाठ करी के सब कोय खेलकऽ पिपलकऽ । एकटा बड़का फुलहा कटोरा में भरी के खीर छन्नू के माय अलमारी पर राखी देलकी । बिलैया ऐले एन्हों झपटा मारलके, कटोरा गिरि के चकनाचूर होय गेले । बिलैया खीर चाटे लागली । धन्नू के माय, गुस्सा में पीढा उठाय के मारलकी, बिलैया मरी गेली । घरऽ में कुहराम मची गेलऽ । आस पास केएऽ जनानी सब जमा हो गेली । कोय कुछ, कोय कुछ बोले लागली । छन्नू के दादी पुतोहू पर गरजे लागली हत्यारिन कहीं की बिलाय मारलकी ? सभे कहे लागले अबे कि देखे छऽ पंडित बोलाबऽ, जे निर्णय देता प्रायश्चित ते करे ले पड़थोंऽ । पंडित सुखराम ऐला । खुब मोटऽ मोटऽ आदमी माथा पर एक बोझऽ टिकी कपारऽ में मोटऽ मोटऽ तीन लकीर वाला चन्दन आय के बैठला । सभे जनानी घेरी के बैठली । छन्नू की दादी पंडित जी से हाथ जोड़ी के बोलली, छन्नू माय के हाथऽ से बिलाय मरी गेले । की करलो जाय पंडित जी ? पंडित जी अपनऽ पोथी पतरा निकालका, हिन्ने हुन्ने पतरा देखी के बोलला बिलाय मारै से बड़ी भारी पाप लागे छै । एकरा खातिर होम जाम, पूजा पाठ सोना केरऽ बिलाय दान करै ले पड़थोंऽ । छन्नू केरऽ दादी बोलली ई सब करे में केत्ते खर्च पड़ते पंडित जी ? पहले ते छन्नू माय के गंगा नहाय ले पड़तै । पंडित जी लिस्ट लिखबाबे लागला, पांच किलो जौ, पांच किलो तील, पांच किलो गुड़, पांच किलो घी, पांच किलो चावल, पांच किलो धूप, भगवान पर चढ़ाबे वास्ते धोती, चारद । पंच बेला पांच तरह केरऽ फल, आरो बिलाय बराबर सोना केरऽ बिलाय धन्नू की दादी माथऽ पकड़ी के बैठी गेली । बाप रे ऐत्ते खरचा कहाँ से पुरैबऽ । पंडितजी कुछ कम खरचा वाला उपाय बताबऽ । पंडित बोलला आरऽ सब ते वेहे रहथोंऽ पांच किलो के जग्धऽ पर सावा किलो करी दहऽ । पंडित जी मनेमन खूब खुश छेला आज जजमान हाथ लागलऽ छै । छन्नू माय गंगा नहाय के ऐती, तबे ने कुछ होतऽ । बनारस जाय केरऽ व्यवस्था करे लागली । ऐतने में छन्नू आय के कहलके दादी- दादी बिलैया ते भागी गेले । घऽर वाला के प्राणऽ में प्राण ऐले । पंडित जी मुँह बनैलऽ घऽर गेला ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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