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Thursday, July 11, 2019

स्वर्ग से अच्छा संसार | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

स्वर्ग से अच्छा संसार | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 



जों आदमी केरऽ मनऽ में अहंकार रहितहोय के दान आरो सेवा केरऽ माव आबी जाय, ते धरती स्वर्ग बनी जाय । ई भाव वाला के लेलऽ स्वर्ग से भी अच्छा संसार बनी के छै । कुरू क्षेत्र में मुदुल नामक ट्टषि रहे छेला । हुनी धर्मात्मा, सत्यनिष्ठ आरेा ईर्ष्या, क्रोध से रहित छेला । हुनी खेतऽ में गिरलऽ पड़लऽ अन्न चुनी के अपनऽ आरो परिवार केरऽ पेट भरे छेला, कोय द्वारी पर भिमंगा, अतिथि, साधु संत, या कोय कुटुम्ब आबी जाय ते बेहे बिछलऽ- चुनलऽ अन्न से सबके यथा शक्ति भोजन कराय छेला । मुदल ट्टषि केरऽ महिमा सुनी के एक दिन दुर्वासा ट्टषि मुदुल ट्ठषि के परीक्षा लेवे वास्ते पहुँचला । हुन्का पास थोड़ऽ सन अन्न छेल्हें । हुन्हीं बड़ी आदर केरऽ साथ दुर्वासा के अर्पित करी देलका । कुछ दिनऽ के बाद दुर्वासा ट्टषि फेरऽ पहुँचला । मुदुल ट्टषि सत्कार केरऽ साथ दुर्वासा ट्टषि के भोजन करालका । मुदुल अपनऽ परिवार केरऽ साथ भूखलऽ रही के छऽ पखवारा तक दुर्वास केरऽ सेवा करलका, दुर्वासा छऽ पखवारा तक आते रही गेला । आरो मुदुल केरऽ अन्न ग्रहण करते रहला । मुदुल केरऽ परिवार छऽ पखवारा तक अन्न केरऽ मुंह नांय देखलका । तइयो मुदुल आरो हुन्कऽ परिवार केरऽ मुंह मलीन नांय भल्हें । दुर्वासा केरऽ इज्जत सम्मान करते रहला । मुदुल केरऽ परीक्षा केरऽ घड़ी समाप्त भेल्हेंन, दुर्वासा स्वर्ग जाय केरऽ आशीर्वाद देलका । दुर्वासा केरऽ वरदान पूरा भेलऽ मुदुल केरऽ शरीर ले जाय वास्ते देवदूत विमान लैके प्रकट भेला । मुदुल कहलका हम्में यही अच्छा छी । जे स्वर्ग में तृप्ति नांय ? परस्पर प्रतिस्पर्धा आरो असुरऽ केरऽ आक्रमण से नित्य पुण्य क्षीण होवे केरऽ भय लागलऽ रहतऽ । ओकरा से ते संसार अच्छा छै, जहाँ अहंकार रहित होय के दान पुण्य आरो सेवा कई केरऽ भाव आवे ते स्वर्ग जाय केरऽ कामना कथीले होतऽ । मुदुल केरऽ बातऽ से दुर्वासा बहुत खुश भेला । मुदुल के यशस्वी होय केरऽ आशीर्वाद देलका । देवदूत प्रणाम करी के विमान लैके स्वर्ग लौटी गेला । असल में अहंकार रहित होय के दान- पुण्य सेवा भाव होय ते धरती स्वर्ग बनी जाय । एन्हऽ भाव वाला के लेलऽ संसार स्वर्ग से भी अच्छा होय सके छै । एन्हऽ भाव सब कोय पैदा करऽ ऐहे हमरऽ अनुरोध छै ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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