अपनऽ परिश्रम केरऽ कमाई श्रेष्ठ होय छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
एक बार भगवान महावीर, एक गांव केरऽ सीमा पर प्रातः काल ध्यान करी रहलऽ छेलाता तभिये एकठो ग्बारऽ पहुँचलऽ । ध्यान मग्न महावीर जी से कहलकऽ, हे साधु महात्मा तोहें छऽ ते हमरऽ गाय भैंस पर ध्यान रखिहऽ । कही के ग्वारऽ चलऽ गेलऽ । कुछ देरी के बाद घुरलऽ ते देखै छै एकटो गाय भैंस वहाँ नांय छै । ग्वारऽ महावीर जी से पूछे लागलऽ हमरऽ गाय भैंस कहाँ छै ? महावीर जी ध्यान मग्न कुछ नांय बोलला । ग्वार गुस्सा में ध्यान मग्न महावीर जी के गारी दै लागलऽ तोहें चोर छिक्खऽ, हमरऽ गाय भैंस कहाँ बेची देल्हऽ ? गेंठा उठाय के मारे ले दौड़लऽ कि भगवान इन्द्र प्रकट होय के ग्वारऽ से कहलका, तोहें जेकरा चोर कही रहलऽ छें । वू महावीर स्वामी छिका । आत्म साधन के लेलऽ कठोर तप करी रहलऽ छथ । तोहें केत्ते बोड़ऽ पाप करले, स्वामी जी पर हाथ उठाले । ग्वारऽ अपनऽ अज्ञानता से जे भूल भेले, उकरा खातिर महावीर जी से आरो इन्द्र जी से क्षमा मांगलकऽ दोनों के प्रणाम करी के चलऽ गेलऽ । महावीर जी केरऽ ध्यान समाप्त भेल्हेन, तबे इन्द्र ने महावीर जी से कहलका, हे भगवन अपने केरऽ साधना काल लम्बा होय छै । साधना काल केरऽ अवधि में ग्वारऽ जेन्हऽ बहुत अज्ञात से अड़चन आय सके छै । अपने केरऽ सेवा में रहे केरऽ इच्छा छै हमरऽ । एन्हऽ एन्हऽ संकट के टारते रहबै । महावीर जी कहलका हे इन्द्र आज तक आत्म शधना केरऽ इतिहास में नांय कभी भेलऽ छै, नांय होते । मुक्ति, मोक्ष, या संबोधित दोसरे केरऽ बल पर दोसरे केरऽ सहायता पर होलऽ छै ? आत्म साधक, अपने बल पर, श्रम आरो शक्ति पर जीवित रहै छै । आरो रहते । अपने केरऽ प्रस्ताव पर आभारी छिये ? लेकिन एहे कहै ले चाहे छिये । कि उपलब्धि ते वेहे छिके जे अपनऽ बल पर हासिल करलऽ जाय । दोसरा केरऽ कमाई अपन नांय होय सके छै । अपनऽ परिश्रम केरऽ कमाई ही श्रेष्ठ होय छै ।
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