दुश्मन के गुस्सा से नांय नम्रता से जीतऽ | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
दोसरा केरऽ बातऽ के सहन करना आरो दोसरा के सम्मान देना, ई दु एन्हऽ शस्त्र छै, जे प्रबलतम दुश्मन के भी दोस्त बनाय ले सम्मान पावे केरऽ एके रास्ता छै, दोसरा के सम्मान देना आरऽ ओका तीतऽ बोली सहन करना। एक बेर केर बात छिके कोय शहर में एक व्यापारी रहे छेले व्यापार केरऽ नाम पर प्रसिद्ध छेले कि ऊ बेइमान आरो अहंकारी छेले । वास्तव में ऊ व्यापारी एन्हऽ नांय छेले । ओकरा में एके अवगुण छेले, कि ऊ गुस्सेल छेले, तुरंत अपने से बाहर होय जाय छेले, आए छोटऽ- छोटऽ बातऽ पर गुस्सा करे लागे छेले । ऐसे कारण से बाजार में ओकरऽ साख गिरी गेल छेले । आरो सब व्यापारी वर्ग से अलग होय गेलऽ छेलऽ । एक बेर अपनऽ गुरू केरऽ पास गेलऽ, गुरू ने पुछलकऽ गुरूदेव, जों कोई दुश्मन सामने छे ते ओकरा से लड़लऽ जाय सके छै, लेकिन हमरऽ पीछे से वार करतै तबे ओकरा कैसे लड़लऽ आय सके छै ? गुरूजी कहलका तु हुं पीछु से लड़ें । गुरूजी पीछु से किरेऽ देखबे जे लड़बै । गुरू जी कहलका तोहें व्यापारी छिके, चतुर छें, तइयो हैरंऽ प्रश्न करे छें ? तोहें व्यापार जगत केरऽ समे नियम जाने छें, ओकरा बाद भी तोए व्यापार ठप पड़ी जाय छै । एकरऽ कारण तोरऽ तुरंत गुस्सा होना छिकौ । व्यापारी ने कहलके गुरूदेव अपने हमरा कोय एन्हऽ रास्ता बताबऽ जेकरा पर चली के हमरऽ गुस्सा शांत होय जाय । आरऽ हमरऽ जीवन शान्ति पूर्वक चले । गुरूदेव कहलक हम्में तोरा यु बात बताना चाहबऽ, एक छौ दोसरा केरऽ बातऽ के सहन करना आये दोसरऽ बात छौ, दोसरा के इज्जत करना । ऐहे दोनों एन्हऽ शस्त्र छिके ने दुश्मन के भी मित्र बनाय लै छै । व्यापारी ने ई बातऽ के गांठ बांधी लेबे के, आरो अपनऽ व्यापार में परिवर्तन करते होलऽ संयम आचरण अपनाय ले लके । जेकरा चलते व्यापार जगत में प्रसिद्ध होय गेले ।
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