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Thursday, July 11, 2019

दया साव से दुश्मन भी बदली जाय छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

दया साव से दुश्मन भी बदली जाय छै  | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
 



संघमित्र अपनऽ पिता अशोक के तरह बौद्ध धर्म केरऽ दीक्षा लेलऽ छेली, हुन्ही धर्म केरऽ प्रचार करे ले लंका गेलऽ छेली, हुन्कऽ धर्मप्रचार से वहाँ केरऽ लोग बहुत प्रभावित होलै । बहुत लोग हुन्का से बौद्ध धर्म केरऽ दीक्षा लेबे लागले । धीरे- धाीरे वहाँ बौद्ध धर्म केरऽ प्रचार बढ़ी गेले । संघ मित्र केरऽ ई काम केरऽ वजह से कुछ दुष्ट आदमी हुन्कऽ दुश्मन भी बनी गेले । संघमित्र दुश्मन केरऽ बात पर ध्यान नांय रखते होलऽ अपनऽ काम करते रहली । दुश्मन एक दिन एक हत्यारा के भेजलकऽ, संघमित्र के मारे ले । हत्यारऽ संघमित्र केरऽ पीछु- पीछु रहलऽ छेले, मौका केरऽ ताकऽ में । रास्ता में संघमित्र देखलकी एक गाय कराही रहलऽ छै । गाय केरऽ पास जय के देखलकी, गाय केरऽ एक गोड़ऽ में जख्म होय गेलऽ छै । जेकरा से लगातार लहु बही रहलऽ छै । संघमित्र तुरंत अपनऽ कपड़ा फाड़ी के गाय केरऽ गोड़ऽ में पट्टी बांधी देलकी, ज्यादा लहु नांय बहे, गाय के पास बैठी के देखे लागली गाय के कुच्छु राहत मिली रहलऽ छै । सेवा केरऽ भाव से हुन्कऽ चेहरा पर आए तेजी आबी गेल्हें । ई देखी के हत्यारा संघमित्र केरऽ पास ऐले । आरो हुन्क गोड़ पकड़ी के कान्दे लागले । संघमित्र आश्चर्य से देखते रही गेली । कुछ देरी के बाद हत्यरबा कहल्के देवी हमरा माफ करी दे । हम्में बहुत बोड़ पापी छिकां । संघमित्र कहलकी तोहें की पास करलऽ छें ? हत्यारा कहलके कुछ आदमी हमरा अपने के मारे ले कहलऽ छें ? हत्यारा कहलके कुछ आदमी हमरा अपने के मारे ले कहलऽ छेले । ऐसे से तोरऽ पीछु पीछु चली रहलऽ छेलिये । मौका पाय के अपने केरऽ हत्या करी देबे । लेकिन अपने केरऽ दया भाव देखी के लागे छै कि हम्में केत्ते बोड़ऽ पापी छी । अपेन मानव केर कभी भी नुकसान नांय पहुंचाबे वाली छऽ । हम्में दोसरा केरऽ बातऽ में कर्त्तबो पाप करै ले जाय रहलऽ छेलां । हमरा माफ करी दे आरो अपनऽ शरण में ले ले । संघमित्र ओकरा अपनऽ संघ में लै लेलकी । संघ केरऽ आदमी के साथे शामिल होय के बौद्ध धर्म केरऽ प्रचार में लागी गेलऽ दया से दया केरऽ जन्म होय छै । दुष्ट व्यक्ति केरऽ अन्दर भी दया भाव होता छै । केवल प्रकट होय केरऽ स्थिति केरऽ इन्तजार करै छै । बौद्ध धर्म केरऽ दीक्षा लै के हत्यारऽ से दयावान बनी गेलऽ ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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