भाय- बहीन केरऽ त्योहार राखी | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
हमरऽ भारतीय संस्कृति केरऽ केत्ते बोड़ऽ विशेषता छै कि आदमी सब देवी- देवता गाछ-बिरिछ, वन, पर्वत, नदी, सागर, गुरू, माता, पिता केरऽ पूजा ते करवे कई छै । राखी पुर्णिमा के दिन भाय केरऽ पूजा करे छै आरऽ आशीर्वाद के रूपऽ में भाय केरऽ प्रेम, विश्वास आरो भरोसा पावे छै । सावन पुर्णिमा केर बहुत बोड़ऽ महत्व करे दिन छिके । सब भाय बहीन हर्ष उल्लास के साथ प्रेम पूर्वक राखी केए त्योहार मनाबे छै । भाय-बहीन केरऽ पातरऽ रेशम डोरी में प्रेम आरो विश्वास समैलऽ रहे छै । रेशम डोरी भाय- बहीन केरऽ रिश्ता के मजबूत बनाबे छै । दोनों केरऽ बीच एक सेतू से कम नांय होय छै । राखी केरऽ त्योहार सबसे पहले द्रौपदी शुरू करलऽ छेली । जबे भगवान श्री कृष्ण शिशुपाल के बध करलऽ छेलात, सुदर्शन चक्र से अंगूरी कटी के लहु बहे लागलऽ छेल्हें । ई देखी के द्रौपदी अपनऽ साड़ी फाड़ी के श्री कृष्ण केरऽ हाथऽ में बांधी देलऽ छेली । वेहे दिनऽ से राखी केरऽ चलन शुरू होय गेलऽ छै । राखी केरऽ त्योहार सही मायने में एक दोसरा केरऽ फिकर करना । राखी बांधी के बहीन सब भाय से रक्षा केरऽ वचन लै छै । भाय राखी बँधाय के सब तरह से रक्षा केरऽ वचन दे छै । शहरी करन होय से रोजगार केए खातिर, काम- धंधा नौकरीचाकरी के चलते एक दोसरा से दूर होय गेलऽ छै । केतनो दूर खाई होय गेलऽ छै, लेकिन राखी अपनापन करेऽ पुल से कम नांय छै । बहीन दूर देशऽ में रहे छै, अपनऽ भाय के वास्ते राखी लिफाफ में भरी के भेजे छै । आजकल ते ईमेल द्वारा भी संदेश भेजे छै । चांद सूरज के अपनऽ संदेश वाहक केरऽ रूपऽ में प्रयोग करे छै । चाँद सुरज के साक्षी मानी के कहे छै, तोहें दुनियां सब जगह घुमे छऽ । गाँव- गाँव गली- गली फेरा लगाबे छऽ, हे चन्दा मामा हमरऽ भाय से कही दिहऽ, तोरऽ बहीन याद करलऽ छोंऽ संदेश भेजलऽ छोंऽ । हमरऽ भाय हमेशा खुश रहे । हम्में तोरा आशीर्वाद दै छि होऽ, तोहें युग-युग चमकते रहिहऽ । हैरंऽ कही के बहीन अपनऽ मनऽ में ढाढ़स बँधाबे छै । एतना माया रहे छै माय आए बहीन केए बीचऽ में । सावन पुर्णिमा केए एक आरो महत्व छै, इन्द्र राक्षस केरऽ अत्याचार से देवता सब के मुक्त करैल छेलात । सावन पुर्णिमा के दिन ट्टषि-मुनि वेद पुराण केरऽ पठन- पाठन शुरू करलऽ छेलात । वेद- पुराण केरऽ पूजा भी होय छै । नया जनेऊ धारण कर केरऽ परम्परा भी छै । गुरू अपनऽ शिष्य केरऽ हाथऽ में रक्षा सूत्र बाँधे छै । ब्राह्मण सब अपनऽ जजमान केए हाथऽ में रक्षा सूत्र बांधी के आशीर्वाद दै छै । गाँव- गाँव शहर-शहर सब जगह राखी केरऽ त्योहार मनैलऽ जाय छै ।
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