जेन्हऽ काम, तेन्हऽ पहनावा | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
जे रात सिद्धार्थ ने बुद्ध बने केरऽ तैयारी में महल छोड़लका, हुन्कऽ साथ बचपन केरऽ साथी सहायता करै वाला चन्ना छेल्हेंन । सिद्धार्थ आरो चला दु घोड़ा पर सवार होय के शाक्य राज्य केरऽ सीमा तक पहुँचल । वहाँ पहुँची के सिद्धार्थ ने पहले तलवार से अपनऽ लम्बा केश काटलका फेरू चन्ना के वापस घुरै केरऽ आदेश देलका । एकरऽ बाद सिद्धार्थ वन प्रदेश में पहुँचला । रास्ता में एक शिकारी आते होलऽ देखालत सिद्धार्थ ने शिकारी के बुलाय के एक प्रस्ताब रखलका । सिद्धार्थ बोलेला हम्में अपनऽ कपड़ा से तोरऽ कपड़ा बदलैले चाहे छी । शिकारी देखलकऽ हिन्कऽ कपड़ा राजसी ठाठ वाला छै, बदलैले तुरंत तैयार होय गेलऽ । सिद्धार्थ ने ओकर मृगाकेरऽ छाल से बनलऽ कपड़ा बदली लेलका । सिद्धार्थ शिकारी वाला कपड़ा िपन्हीं लेलका । शिकारी बतैलखें कि ई कपड़ा से तोरा बहुत फैदा होऽ होंऽ । वन प्राणी तोरा बाहरी नांय समझथे । अपने परिवार केरऽ समझी के कोय खतरा भी नांय करहोंऽ । ई सुनी के सिद्धार्थ आरऽ खुश होय गेला । जैसहीं जाय ले सिद्धार्थ पीठ पीछु करलका कि शिकारी कहलकै महारजा कपड़ा केरऽ लेन-देनते होय गेलऽ लेकिन हम्में समझैले नांय पार लिये कि अपने एन्हऽ काहे करल्हऽ । सिद्धार्थ कहलका मित्र, हम्में अबे संयासकेरऽ तरफ बढ़ी रहलऽ छी । जेन्हऽ काम छै, तेन्हऽ कपड़ा भी धारण करना चाहिक सामान्य कपड़ा हमरा हर घड़ी साधारणता केरऽ भान कराते रहतऽ, शिकारी से अनुरोध करते होलऽ कहलका, तोहें राजसी कपड़ा बेची के धन कमाय सके छऽ । कोय दोसरऽ काम करी के जीवन निर्वाह करीहऽ, पशु के हत्या करी के जीवन चलाना अच्छा काम नांय छिकै । शिकारी सिद्धार्थ केरऽ प्रेरणा से जीव हत्या वाला काम छोड़ी देलकऽ । आदमी के लेलऽ कपड़ा केरऽ बड़ा महत्व छै । हम्ें जे काम करै छी ओकरऽ अनुरूप हमरऽ कपड़ा होना चाहीवऽ । एकरा से हमरऽ मन मस्तिष्क पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ै छै ।
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