प्रेमचन्द केरऽ बात | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
प्रेमचन्द केरऽ याद करते होलऽ, ई बात केरऽ गर्व होय रहलऽ छै कि हुन्ही साहित्य जगत केरऽ प्रसिद्ध कथाकार छेलात । लेकिन ई बात केरऽ दुःख होय रहलऽ छै आज हुन्ही नांय रहला । सत्तर साल बाद आज भी प्रेमचन्द केरऽ बतैलऽ बात जस के तस छै । हुनकऽ माधव, धीसू, आरो होरी जेन्हऽ पात्र आज भी वेहे समाजऽ में संघर्षरत छै । प्रेमचन्द केरऽ समय में जे किसान केरऽ हालत छेले, आज भी किसान केरऽ वेहे दशा छै । सूदखोरी, में जकड़लऽ आरो महाजन केरऽ शिकंजा में फंसलऽ, कहीं कुछ भी बदललऽ नांय । नजर आबी रहलऽ छै । होंऽ पात्र केरऽ रूप जरूर बदली गेलऽ छै । नया ढंग केरऽ संस्कृति बढ़ी गेलऽ छै । प्रेमचन्द ने मध्यम वर्ग केरऽ जे संघर्ष अपनऽ कथा में लिखलऽ छेला, आज भी वेहे संघर्ष जारी छै । अंधविश्वास, रूढ़ीवादी, कुरीति, आरऽ अधर्म केरऽ परंपरा जय के तस छै । होंऽ प्रेमचन्द ने अपनऽ कथा पात्र में जे मानवीय मूल्य केरऽ स्थापना करलऽ छेला, चाहे मंत्र केरऽ कथा होय या पंच परमेश्वर, समाज में आज वू मूल्य केरऽ लगभग अलोप होलऽ जाय रहलऽ छै । पश्चिम केरऽ पूंजीपती व्यवस्था आरो संस्कृति केरऽ बारे में लगैला छेला, आज सब सही होते देखाबै छै । प्रेमचन्द केरऽ चिन्तन सबसे बोड़ऽ केन्द्र ग्रामीण भारत आरो किसान केरऽ दशा छिकै । आज सत्तर साल केरऽ बाद भी कहीं कोय सुधार नजर नांय आय रहलऽ छै । किसान दुखी छै, करजा में डुबलऽ छै । बाजार से दबलऽ छै । ओकरा कोय सुनैवाला नांय छै । आत्महत्या करी रहलऽ छै । समाज में छुआछुत, जाति भेद गैर बराबरी दूर होय के बजाय आरऽ बेसी बढ़ी । गेलऽ छै । सत्तर साल में ई स्थिति बदली जाना छेले । आज भी प्रेमचन्द केरऽ प्रसंगिका होना दुःख करेऽ बिषय छै । इतिहास में चलऽ जाना छेले, ई विडंवना ही छै कि समाज ने प्रेमचन्द केरऽ लिखलऽ किताब पढ़लकै बहुत पर हुन्कऽ एकोरा बात (नसीहत) नांय मानल कै ।
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