श्रेय लेबे केरऽ छोड़ में, एकता के काटी दै छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
एक शिकारी ने चिडिया फंसाबै के लेलऽ जाल बिछैलकऽ, संयोग से दुइयेरा चिडि़या फंसलै । दोनों चिडि़या बिचार करलकी एक होय के दोनों पूरा ताकत के साथ जाल लेले उड़ी गेली । शिकारी देखलकऽ चिडि़या जाल लेले उड़ी रहलऽ छै । शिकारी पीछु- पीछु दौड़ लागलऽ ई तमाशा एकरा साधु देखी रहलऽ छेला । शिकारी से कहलका काहे बेकारऽ में दौड़ी रहलऽ छें ? चिडि़या जाल लैके उड़ी रहलऽ छै । कब तक एकरऽ पीछु दौड़ते रहबे । शिकारी साधु से कहलकै, बात ते अपने केरऽ ठीक छै, लेकिन हम्में ई उम्मीद में दौड़ी रहलऽ छिपै कि कुछ समय केरऽ बाद दोनों जाल लै के नीचे गिरबे करतै । साधु के बहुत आश्चर्य भेल्हेंन, शिकारी से कारण पुछलका चिडि़या के पीछु काहे दौड़ी रहलऽ छें ? शिकारी कहलकै हमरा ई बात केरऽ भरोसा छे कि जे एकता से हमरऽ जाल लैके उड़लऽ छै, दोनों केरऽ एकता ज्यादे समय तक नांय रहतै । दोनों चिडि़या ऐके जाति केरऽ छिकै । जाति केरऽ संघर्ष की होय छै, हम्में जानै छियै । आरऽ सचमुच में आकाश में एनाही होलै । उड़ते- उड़ते दोनों चिडि़या थकी गेली, दोनों एक दोसरा पर परिश्रम केरऽ भार जोड़ ज्यादा देब लागली, यहीं से दोनों में संघर्ष शुरू होय गेलऽ दोनों में वहस शुरू होय गेलऽ कि हमरे चलते तोरऽ जान बचलौ । झगड़ा केरऽ नतीजा ई होलऽ कि दोनों केरऽ ताकत खतम हुवे लागलऽ । ओकरऽ पांख थकै लागलऽ । दोनों लड़खड़ाय के जाल सहित जमीन पर गिरी गेली । शिकारी केरऽ काम बनी गेलऽ । ऐ हे से कहलऽ गेलऽ छै कि श्रेय लेबे केरऽ होड़ एकता के खंडित करी दै छै । जे सफलता एक मत होय के पैलऽ जाय छै, ओकरा श्रेय लेबे केरऽ वृत्ति आरो निज हित से बचाना चाहीवऽ एकता में ताकत आरो बल निहित छै । एकता केरऽ बल पर कठीन से कठीन काम संभव होय जाय छै ।
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