मोह माया छोड़ी के सद्भाव पूर्ण जीवऽ | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
अनार केर केरऽ एक व्यापारी अपनऽ दुकानऽ पर बैठलऽ छेलऽ । अनाज केरऽ ढेर दुकान केरऽ सामने राखलऽ छेलऽ । एकरा बकरा ऐले आरो अनाज के देरी में मुँह मारलकै, एक गाल अनाज लै ले पारू कि व्यापारी लोहाकेरऽ छड़ से घुमाय मारलकै, बकरा छटपटाते भागलऽ । ओकरा बड़ी जोर से चोट लागलऽ छेले । एक महात्मा वेहे दै के जाय रहलऽ । अपनऽ शिष्य के साथ छेला । ई दृश्य देखी के महात्मा मुस्करैला, हुन्कऽ शिष्य पुछल्खें, अपने मुस्कुरावै छिपै, एकरऽ अलाबे कुच्छु आरो भी देखलहक कि ? महात्मा जबाब देलका, व्यापारी ने बकरा के मारलकै, वू जनम मे एकरऽ बाल छेले । अनाज केरऽ दुकान ओकरऽ बाप चलाबै छेले । लेकिन बड़ी कंजुस छेले, एक- एक दाना केरऽ हिसाब रखै छेले । अपनऽ दुकान आरो अनाज से ऐत्ते मोह छेले कि अपनऽ बेटा पर भी विश्वास नांय करै छेले । लक्ष्मी केरऽ सही उपयोग नांय करै से लक्ष्मी अप्रत्यक्ष फल दै हथीन । व्यापारी मरी के बकरा बनलऽ हम्में देखलियै कि जे अनाज खातिर जिन्दगी भर वितैलकऽ, भरी पेट खाना नांय खैलकऽ, आज अनाज में मुँ लगैला पर अपने बेटा से मार खैलकऽ । ऐहे से समय रहते आदमी के सोचना, समझना, आरऽ सही ढंग से जीवन बिताना चाहीवऽ । धन केरऽ स्वामी बनलऽ रहला से अच्छा छै, धन केरऽ सही उपयोग करना, भारती संस्कृति में पूर्वजन्म में विश्वास रखै छै । एकरऽ मतलब अंध विश्वास नांय छै, बल्कि भविष्य केरऽ चिन्ता रखते होलऽ वर्तमान केरऽ जीवन के सही ढंग से जीना, पुनर्जनम केरऽ छिकै कि जे कुछ आज हमरऽ छिकै कल्ह केकरो दोसरा केरऽ होय जैते । जेकरा पर आज हमरऽ मोह माया छै, कल्ह हमरऽ नांय होते । ऐ हे से आज सद्भव आरो सदुपयोग केरऽ जिन्दगी जीना चाहिवऽ ।
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