मौन साधना | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
बरसते पानी में यदि छाता केरऽ डंटी कोय दोसरे पकड़ते, तोरा भींजना ते जरूरी छोंग छाता वेहे पकरी सके छै जे भींगे से बचे के लेलऽ उपयोग करना चाहे छै । एन्हऽ जिन्दगी में कै बार हम्में अपनऽ बचाव या सुरक्षा केर प्रमुख साधन केरऽ कमान दोसरा के सौंपी दै छिये । आरो परेशान होय छिये । दोसरा के हम्में की, आरो केतना देबा छै, एकरऽ समझ ध्यान में रखऽ । ऐहे समझ केरऽ कमी के कारण हम्में महत्वपूर्ण चीज दोसरा के पकड़ाय दै छिये । जैसे प्रभावी शब्द, हम्में अपनऽ कई महत्वपूर्ण शब्द दोसरा पर खर्च करी दै छिये । दिन भर में हम्में अपन पराया कत्ते लोगऽ से मिले छिये । आरो एतना बोलते रहे छिये, अपनऽ शब्दऽ के बेकार फेंकते रहै छिये । हम्में अपनऽ ऊर्जा के भी चूसी के बाहर करी रहलऽ छिये । ई ऊर्जा कहीं आरो काम आय सके छै । थोड़ऽ विचार करऽ कि शब्द बाहर काहे फेंकी रहलऽ छिये ? बोलला के बाद कार्य छै कि नांय बोलत लिये ते ठीक छेले । दर असल, जबे भी तर बिचार केरऽ हल्ला होय छै ते बिकार भड़ भड़ करते तोरऽ शब्दऽ के धक्का दै छै आरो ई तरह निकललऽ शब्द अर्थ हीन बकवास बनी जाय छै । संभव छै अनर्थ भी पैदा करी दै । भीतर केरऽ बिचार, ओकरऽ हल्ला रोकना होयते मौन साधना करे ले पड़ते, जैसे ही मनऽ केरऽ बात आबे छै, लोग ठोर बंद करी लै छै । लेकिन ई मौन नांय, ई ते चुप्पी छै । चुप्पी से कुछ हासिल नांय होते हासिल होते मौन से आरो मौन तबे घटे छै जबे तोहें स्वयं से भी बात करना बंद करी दै छऽ । जैसे ही तोहें मौन साधल्हऽ, विचार विदा होय जेत्ते । आरो एकरऽ बाद जे शब्द होते वू अद्भूत प्रभाव शाली होय के तोरऽ ऊर्जा के बढ़ाबे वाला होते ।
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